यूपी के सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों में नहीं लागू हो सका एन.सी.ई.आर.टी. का पाठ्यक्रम
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ । उत्तर प्रदेश में सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला फाइलों तक ही सिमट कर रह गया है। अभी भी पुराने पाठ्यक्रम से पढ़ाई हो रही है, जबकि 25 अक्टूबर से 2019 की मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल आदि की वार्षिक परीक्षाओं के आनलाइन फार्म भरे जाने हैं। परीक्षा फार्म आनलाइन 30 नवम्बर तक भरे जाएंगे और वार्षिक परीक्षाएं अगले साल फरवरी में होंगी।
बताते चलें कि प्रदेश के सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला 18 मई 2017 को तत्कालीन प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण की अध्यक्षता में मदरसा संचालकों की एक कार्यशाला में हुआ था। इस फैसले पर सरकारी आदेश अप्रैल 2018 में लागू हुआ मगर आज तक मदरसों के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें मुहैया ही नहीं हो पायीं। मदरसों के शिक्षकों के नुमाइंदे कहते हैं कि प्रदेश सरकार के फैसले के बाद उ.प्र. मदरसा शिक्षा परिषद की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने फंड से इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम की किताबें छपवाकर उपलब्ध करवाए।
आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री वहीदुल्लाह खान का कहना है कि किस मदरसे में अलग-अलग कक्षाओं में कुल कितने बच्चे हैं और उनके लिए कितनी किताबों की जरूरत है, इस बाबत सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों ने अपने-अपने जिले की सूचनाएं संकलित कर उ.प्र. मदरसा शिक्षा परिषद को भेज दी थीं, मगर इन सूचनाओं का अब तक कोई भी नतीजा सामने नहीं आ सका है।
उधर, उ.प्र. मदरसा शिक्षा परिषद के कार्यवाहक रजिस्ट्रार एस.एन. पाण्डेय का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें छपवाकर मदरसों को उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी उ.प्र. मदरसा शिक्षा परिषद की नहीं है। मदरसों में जो विषय पढ़ाए जा रहे हैं, उनमें धार्मिक मामलों यानि दीनयात से जुड़े विषयों से तो कोई छेड़छाड़ की ही नहीं की गयी है। सिर्फ सामान्य विज्ञान, अंग्रेजी और हिन्दी आदि विषयों की किताबें ही एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित की गयी हैं। इसके लिए एनसीईआरटी का लिंक मदरसा पोर्टल से जोड़ दिया गया है, जिसका लाभ मदरसों के छात्र उठाकर दीनयात के अलावा अन्य विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं।