आधार स्कूली बच्चों के लिए अब अनिवार्य नहीं
नई दिल्ली | राजधानी के स्कूलों में बच्चों और उनके परिजनों के लिए अब आधार अनिवार्य नहीं होगा। दिल्ली सरकार ने सोमवार को हाईकोर्ट में इस बात की जानकारी दी। हालांकि, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के साथ-साथ उनके परिजनों का आंकड़ा जुटाने की दिल्ली सरकार की कवायद को हाईकोर्ट से हरी झंडी मिल गई।
जस्टिस संजीव खन्ना और चंद्रशेखर की पीठ ने यह आदेश तब दिया, जब सरकार ने कहा कि छात्रों या उनके परिजनों को अनिवार्य तौर पर आधार जमा कराने की जरूरत नहीं होगी। सरकार की ओर से अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने पीठ को बताया कि हाल के सुप्रीम कोर्ट फैसले को देखते हुए शिक्षा निदेशालय उस अधिसूचना में बदलाव करेगी, जिसमें स्कूली छात्रों और उनके माता-पिता और भाई-बहन का आधार/ मतदाता पहचान पत्र जमा कराने को कहा गया था।
अधिवक्ता त्रिपाठी ने हाईकोर्ट को बताया कि इसके लिए आदेश जारी किया गया है। आधार वैकल्पिक होगा और यदि किसी के पास कोई दस्तावेज नहीं होगा तो उन्हें आधार ही पहचानपत्र के तौर पर जमा कराने की छूट होगी। इसके साथ ही अधिवक्ता त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि 11 सितंबर को जारी अधिसूचना का मकसद दिल्ली के बच्चों का आंकड़ा जुटाना है ताकि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार योजनाएं बना सके। मामले में राजकीय सर्वोदय विद्यालय संगठन के अध्यक्ष सीपी सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। उन्होंने शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते फटकार लगाई थी
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कहा था कि सरकार छात्रों व उनके भाई-बहन व माता-पिता का आधार नहीं मांग सकती। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की थी, जब सरकार ने पीठ को बताया था कि छात्रों व उनके परिजनों का आधार/मतदाता पहचान पत्र इसलिए मांगा जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने बच्चे बाहर के हैं। सरकार की ओर से अधिवक्ता ने कहा था कि लगभग 50 फीसदी बच्चे दिल्ली से बाहर के बच्चे हैं। पीठ ने सरकार के वकील से पूछा था कि ‘यदि कोई बच्चा दिल्ली से बाहर का होगा तो आप उन्हें दाखिला नहीं देंगे। पीठ ने सरकार से कहा कि आधार या अन्य दस्तावेजों के बगैर आप बच्चों का दाखिला ही नहीं देते हैं, ऐसे गलत जानकारी देकर हमें गुमराह मत कीजिए।