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नई दिल्ली : सरकार ने एक शिक्षक वाले प्राथमिक स्कूलों की ली सुध

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नई दिल्ली : सरकार ने एक शिक्षक वाले प्राथमिक स्कूलों की ली सुध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । बगैर शिक्षकों के स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का सपना देख रही सरकार को आखिरकार यह सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा है कि इसके लिए पहले उन्हें स्कूलों में शिक्षकों की न्यूनतम जरूरत को पूरा करना होगा। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने देश भर में एक शिक्षक के भरोसे चल रहे स्कूलों में शिक्षकों की संख्या को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ऐसे राज्यों को वित्तीय मदद का भी भरोसा दिया है।

केंद्र सरकार ने यह पहल तब की है, जब देश भर में एक शिक्षक के भरोसे संचालित होने वाले स्कूलों की संख्या करीब एक लाख है। इनमें ऐसे सबसे ज्यादा स्कूल अकेले मध्य प्रदेश में हैं, जहां इनकी संख्या करीब 17 हजार है, जबकि दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, जहां ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 16 हजार है। इसके अलावा राजस्थान, आंध्र प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में भी एक शिक्षक के भरोसे चलने वाले स्कूलों की संख्या काफी ज्यादा है। खास बात यह है कि यह सभी प्राथमिक स्कूल हैं। हालांकि माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है, लेकिन ऐसी हालत नहीं है।

मानव संसाधन विकास मंत्रलय एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक शिक्षकों की कमी खत्म करने को लेकर यह सारी कवायद उस समय शुरू हुई है, जब गुणवत्ता को सुधारने की मुहिम में शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी हो गई। बड़े राज्यों में स्थिति ज्यादा ही खराब है। ऐसे में इस अड़चन को खत्म करने की पहल की गई है। राज्यों से कहा गया है कि वह ऐसे स्कूलों में जल्द से जल्द पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती करें। साथ ही इसके लिए राज्यों को वित्तीय मदद की जरूरत है, जो उन्हें समग्र शिक्षा के तहत मदद उपलब्ध कराई जाएगी। मंत्रलय ने इसके अलावा भी शिक्षकों की कमी को खत्म करने के लिए कई अन्य कदम भी उठाए हैं। इसमें राज्यों से शिक्षकों की तैनाती व्यवस्था को दुरुस्त करने और खाली पदों को भरने के लिए मुहिम तेज करने जैसे भी कदम उठाए गए हैं। इसका असर दिखाई दे रहा है। आने वाले कुछ महीनों में इसमें और भी बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

राज्यों को शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के दिए निर्देश, मदद का भी भरोसा

मौजूदा समय में देश में एक शिक्षक वाले करीब एक लाख स्कूल

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