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महराजगंज : जनपद में 232 स्कूली भवन जर्जर, खतरे में नौनिहाल

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महराजगंज में 232 स्कूली भवन जर्जर, खतरे में नौनिहाल


शासन द्वारा शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भले ही निरंतर प्रयास किया जा रहा है , मगर यह सिर्फ बच्चों व शिक्षकों की उपस्थिति व संसाधन मुहैया कराने तक ही सीमित है। शिक्षा देने के लिए सर्वाधिक जरूरी माने जाने वाले भवन के जर्जर होने से परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहाल व पढ़ाने वाले शिक्षक खतरे में है। डर के साए में शिक्षा उपलब्ध कराने को विवश हैं।...

कैचवर्ड- शिथिलता

महराजगंज: शासन द्वारा शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भले ही निरंतर प्रयास किया जा रहा है , मगर यह सिर्फ बच्चों व शिक्षकों की उपस्थिति व संसाधन मुहैया कराने तक ही सीमित है। शिक्षा देने के लिए सर्वाधिक जरूरी माने जाने वाले भवन के जर्जर होने से परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहाल व पढ़ाने वाले शिक्षक खतरे में है। डर के साए में शिक्षा उपलब्ध कराने को विवश हैं। यदि समय रहते जिम्मेदारों ने इसे ठीक नहीं कराया तो जिले में भी गोरखपुर के करसवल जैसी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सुधार का सबसे अधिक चाबुक प्राथमिक शिक्षा पर ही चलाया। स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों के ठहराव की बात हो या बच्चों को यूनिफार्म, जूता- मोजा, स्वेटर व पुस्तक वितरण की, सभी में शासन ने अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए इसके त्वरित क्रियान्वयन का निर्देश दिया। यही नहीं जूनियर स्तर के विद्यालयों में डेस्क-बेंच के लिए धन भेजकर बच्चों को बेहतर ढंग से शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था भी बनाई। बच्चों को शिक्षा देने के लिए संसाधन व शिक्षकों के साथ- साथ बेहतर भवन का होना आवश्यक है, मगर दुर्भाग्य कि जिले के जर्जर परिषदीय विद्यालयों के सुधार की दिशा में अभी तक कोई कार्यवाही नही की जा सकी है। माना जाता है कि एक विद्यालय अधिकतम 10 वर्ष तक बच्चों की शिक्षा की लिहाज से ठीक है , मगर जिले में बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जो 20 से लेकर 30 साल से चल रहे हैं। स्थिति यह है कि स्कूली भवन के कहीं छत ही बैठ गए हैं तो कहीं प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं। जर्जर भवन की स्थिति देख बच्चे व शिक्षक सहमे हुए हैं।

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232 भवनों के मरम्मत के लिए मांगा गया है धन

विभागीय जानकारी के मुताबिक इस वर्ष आंशिक रूप से जर्जर 232 भवनों के मरम्मत के लिए शासन से धनराशि मांगी गई थी मगर अभी तक धनराशि न मिलने से उसकी मरम्मत नहीं कराई जा सकी है। जर्जर भवन अथवा छत की मरम्मत न होने से बच्चे या तो वहीं पढ़ने के लिए विवश हैं या फिर खुले आसमान के नीचे।

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शासन से फिर से होगी धन की मांग : बीएसए

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जगदीश प्रसाद शुक्ल ने कहा कि जर्जर भवन के बारे में विद्यालयों से फोटोग्राफ सहित सूचना मांगी गई है। संपूर्ण सूचना मिलने के उपरांत शासन से धन की पुन: मांग होगी। प्रधानाध्यापक व शिक्षक बच्चों को जर्जर भवन से दूर रखें तथा शिक्षण कार्य को संपन्न कराएं।

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