कहीं 98 बच्चों पर एक अध्यापक, तो कहीं सात पर तीन
जानसठ : परिषदीय स्कूलों में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। एक गांव के परिषदीय...
जानसठ : परिषदीय स्कूलों में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। एक गांव के परिषदीय स्कूल में 98 बच्चे और एक अध्यापक, जबकि दूसरे स्कूल में सात बच्चे और तीन अध्यापक नियुक्त हैं। ऐसा भी नहीं कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। अनुरोध के बाद भी स्कूलों में अध्यापक नियुक्त नहीं किए जा रहे हैं।
परिषदीय स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सरकार चाहे कितने जतन कर ले, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। जागरण टीम ने क्षेत्र के कुछ स्कूलों का दौरा कर वस्तुस्थिति जानी। टीम पहले जानसठ ब्लॉक के सैदीपुर राजू गांव पहुंची तो यहां पूर्व माध्यमिक स्कूल में 48 बच्चों पर एक अध्यापक शिक्षण कार्य करते मिला। अध्यापक अजब ¨सह ने बताया कि स्कूल में एक और अध्यापक यजवेंद्र कुमार तैनात हैं, लेकिन उन्होंने अपने गांव के पास ही अस्थायी नियुक्ति करा रखी है, जबकि उनका वेतन इसी स्कूल से निकलता है, पर वह यहां आते नहीं हैं। कुछ दिन पूर्व समस्या को देखते हुए उनकी नियुक्ति यहां की गई थी, लेकिन अभी तक नहीं आए। वहीं मंतौड़ी गांव के पूर्व माध्यमिक स्कूल में मात्र सात बच्चों का नाम दर्ज है, लेकिन यहां पर दो अध्यापक तैनात हैं। मामले में एबीएसए नीलम तोमर से बात करनी चाही तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। खतौली के बसायच गांव के प्राइमरी स्कूल में 98 बच्चों पर एक ही अध्यापक नीटू कुमार तैनात हैं। उन्होंने गांव की एक युवती को अस्थायी तौर पर रखा है। अध्यापक का कहना है कि इतने बच्चों को संभालना अकेले के बस की बात नहीं है। इसके बाद भी उनकी ड्यूटी बीएलओ में भी लगा रखी है। वहीं इसी खंड के निराठी गांव के पूर्व माध्यमिक स्कूल में केवल सात बच्चों पर तीन अध्यापक तैनात हैं। तैनाती के नियम
यदि परिषदीय स्कूलों की तैनाती में नियम देखें तो प्राइमरी स्कूल में 30 बच्चों पर एक अध्यापक होना जरूरी होता है। इसी तरह पूर्व माध्यमिक स्कूलों में तीन अध्यापकों की तैनाती अवश्य होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। पूर्व माध्यमिक स्कूलों के अध्यापकों ने बताया कि स्कूल में 13 विषय पढ़ाए जाते हैं। इसके अनुसार करीब तीन से चार अध्यापक होने जरूरी हैं। इन्होंने कहा...
अध्यापकों की नियुक्ति बीएसए कार्यालय से होती है। मामले की जानकारी होने के बाद बीएसए कार्यालय को पत्र लिखे गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
-दिनेश कुमार, एबीएसए, खतौली