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बागपत : सरकारी स्कूल देखने हैं तो सिसाना आइए जनाब..

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सरकारी स्कूल देखने हैं तो सिसाना आइए जनाब..


जागरण संवाददाता, बागपत: सरकारी स्कूल देखने हैं तो सिसाना आइए जनाब।..जिन्हें देखते ही लोगों...

जागरण संवाददाता, बागपत:

सरकारी स्कूल देखने हैं तो सिसाना आइए जनाब।..जिन्हें देखते ही लोगों के कदम ठहर जाते हैं। और मुंह से निकलता है कि इन्होंने तो पब्लिक स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। इतने शानदार स्कूल तो कम ही देखने को मिलते हैं। जी हां! यह सच है, क्योंकि आपरेशन कायाकल्प से तीनों स्कूलों को इतना भव्य बनाया गया कि शायद ही कोई तारीफ किए बिना रुके। आइए! देखते हैं सिसाना गांव के स्कूलों की झलक..

सिसाना कलक्ट्रेट से सटा है। लिहाजा अफसरान और प्रधान हीरो देवी ने दिल्ली-सहारनपुर हाईवे किनारे के प्राथमिक स्कूलों को ऐसा बनाने की ठानी ताकि रोल मॉडल बनें। यह कल्पना अब हकीकत में बदल गई। बदहाल स्कूल चमकने लगे। प्राथमिक स्कूल नंबर एक इंग्लिश मीडियम हैं। प्रवेश करते ही हेडमास्टर का दफ्तर देखते रह जाओगे। दीवारों और फर्श पर मार्बल टाइल्स बिछी हैं। खिड़कियों पर रंग-बिरेंगे पर्दे हैं। शानदार वे¨टग रूम, लाइब्रेरी, वा¨शग रूम तथा चमचमाते टॉयलेट हैं। स्कूल में दीवारों पर गजब चित्रकारी है। झूला झूल बच्चे मस्त रहते हैं। कमरों में दो-दो बिजली पंखे हैं। हेडमास्टर जितेंद्र नैन बताते हैं कि 216 बच्चों की पढ़ाई को हर क्लास में प्रोजेक्टर तथा पेयजल को आरओ लगाए जा रहे हैं।

उच्च प्राथमिक स्कूल का सौंदर्य देखते ही बनता है। कक्षा कक्षों तथा बरामदा में मार्बल लगा। हर कक्ष में चार बिजली पंखे व दीवारों पर आकर्षक चित्रकारी है। पेड़-पौधे राष्ट्रभक्ति संदेश देते नजर आते हैं, क्योंकि उनपर तिरंगा रंग किया हुआ है। मिड-डे मील किचन इतना साफ-सुथरा कि आसानी से आम घरों में नहीं मिलेगा। हेडमास्टर तेजपाल व शिक्षिका अंजुम गनी, मिथलेश, फूल बीबी इशारे करते हुए कहतीं है कि टॉयलेट देख लीजिए कितने शानदार हैं। सड़क के दूसरी तरफ प्राथमिक स्कूल नंबर दो देख हर कोई खिंचा चला आता है। मुख्य गेट की चित्रकारी देख वहां गुजरते वाहनों में सवार लोग ओझल होने तक देखते रह जाते हैं।

बच्चे भी प्रतिभाशाली

स्कूलों की दर-ओ-दीवार ही नहीं सजी है बल्कि बच्चों का शैक्षिक स्तर इतना अच्छा कि अध्यापक आग्रह करने लगते हैं कि बच्चों से सवाल तो पूछ लीजिए। कई बच्चों ने पूछे गए सवालों का सही जवाब दिया और फटाफट किताब पढ़कर सुनाई।

इन्होंने कहा..

सिसाना बानगी है। अभी 100 और जर्जर स्कूलों का कायाकल्प कराना है।

-आलोक शर्मा, डीपीआरओ

सिसाना के स्कूलों में मन लगता है और शिक्षण गुणवत्ता बहुत अच्छी है

-राजीव रंजन मिश्र, बीएसए।

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