प्रयागराज : आरक्षण में जमकर हुई थी मनमानी, अखिलेश शासन में यूपीपीएससी ने अपने स्तर पर लागू की थी व्यवस्था
प्रयागराज । कुर्मी व यादव बिरादरी के अफसरों की तैनाती के राजफाश ने अखिलेश शासन में एक जाति विशेष को तरजीह और यूपीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव की मनमानी आरक्षण व्यवस्था की पोल खोल दी है। कार्मिक विभाग से आने वाले पदों में आरक्षणवार सीटों का बंटवारा तत्कालीन अध्यक्ष की ओर से किए जाने का नतीजा ही रहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को सहायक कृषि अधिकारी ग्रेड-दो की परीक्षा का परिणाम ही रद करना पड़ा था, हालांकि यह मामला अभी शीर्ष कोर्ट में लंबित है।
उल्लेखनीय है कि डा. अनिल यादव की ओर से आरक्षण में छेड़छाड़ को लेकर ही अभ्यर्थियों ने यूपीपीएससी के खिलाफ 2014 में जबरदस्त विरोध किया था। इसकी शुरुआत पीसीएस 2011 की प्रारंभिक परीक्षा के बाद त्रिस्तरीय आरक्षण की व्यवस्था मनमाने तरीके से लागू किए जाने के विरोध में हुई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट की सख्ती और अभ्यर्थियों के आंदोलन से माहौल बिगड़ते देख त्रिस्तरीय आरक्षण के प्रस्ताव को यूपीपीएससी ने वापस ले लिया था लेकिन, मुख्य परीक्षा का परिणाम निकलने पर यादव बिरादरी के 178 अभ्यर्थी बाहर किए गए व 151 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी उत्तीर्ण किए गए। इसके बाद भी ‘खेल’ हुआ जिसमें अंतिम रूप से चयन परिणाम में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को महज 80-85 नंबर देकर ही अनुत्तीर्ण कर दिया गया।
सामान्य ही नहीं एससी/एसटी की आरक्षित सीटों में भी कटौती कर ओबीसी में जोड़ा जाता रहा, ताकि एक वर्ग के अभ्यर्थियों का ही चयन होता रहे।
मसलन, यूपीपीएससी की ओर से 22 अक्टूबर 2013 को विज्ञापित कृषि तकनीकी सहायक परीक्षा ‘ग्रुप सी’ के अंतर्गत कार्मिक विभाग से कुल रिक्त 6628 पदों में सामान्य वर्ग के 3316, ओबीसी के 566, एससी के 2211 और एसटी के 235 पदों का अधियाचन था, साक्षात्कार के पहले ही विज्ञापन में बदलाव कर सामान्य वर्ग की सीटें 2515, ओबीसी में 2030, एससी में 1882 और एसटी में 201 कर दी गईं। क्षैतिज आरक्षण के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित, पूर्व सैनिक व दिव्यांगजन श्रेणी के पदों में भी कटौती की गई। अक्टूबर 2015 में इसका परिणाम आया तो सामान्य वर्ग में महज 806 यानी 12 फीसदी अभ्यर्थी ही सफल हुए।
कार्मिक विभाग के आंकड़े संदेहास्पद
सीएम कार्यालय के जन सूचना सेल ने जातिवार अफसरों का आकड़ा आरटीआइ के तहत भी सार्वजनिक नहीं किया। ऐसे में यादव से ज्यादा कुर्मी बिरादरी के अफसरों का कार्मिक विभाग का आंकड़ा संदेहास्पद है। डा. अनिल यादव के समय आरक्षण में छेड़छाड़ हुई।
-अवनीश पांडेय, मीडिया प्रभारी प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति।