ठेकेदारी के स्वेटरों से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को लगी 'ठंड'
जागरण संवाददाता, कन्नौज: बेसिक शिक्षा विभाग में भी ठेकेदारी प्रथा हावी है। विभाग ने स्वेटरो...
जागरण संवाददाता, कन्नौज: बेसिक शिक्षा विभाग में भी ठेकेदारी प्रथा हावी है। विभाग ने स्वेटरों का पैसा तो प्रधानाध्यापकों के खाते में भेज दिया लेकिन स्वेटर ठेकेदारों से ही खरीदे गए। नतीजा यह हुआ कि कई बच्चों के साइज के स्वेटर नहीं मिले, जिससे जिले में करीब 11 हजार बच्चे स्वेटर मिलने से वंचित रह गए। दस फीसदी बच्चों को स्वेटर नहीं मिले, जबकि जिले को संतृप्त करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित की गई थी।
परिषदीय विद्यालयों में सर्दी से पहले स्वेटर वितरण कराने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए थे। आदेश यह था कि विद्यालय प्रबंधन समिति स्वेटरों को खरीद कर वितरण कराएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। प्रधानाध्यापकों ने विभाग में पहले से लगे ठेकेदारों से स्वेटर खरीद कर बांट दिए। लिहाजा ये स्वेटर न तो गुणवत्ता में खरे उतरे और न ही मानकों पर। सदर ब्लाक के मानपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में तो कक्षा पांच के एक भी बच्चे को स्वेटर नहीं मिला। प्रधानाध्यापिका सारिका यादव ने बताया कि कक्षा पांच में 21 बच्चे पंजीकृत हैं। किसी भी बच्चे के साइज का स्वेटर नहीं मिला, जिससे इस कक्षा के छात्र वंचित रह गए।
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प्रधानाध्यापकों से लिया जा रहा उपभोग प्रमाणपत्र
स्वेटर वितरण के बाद बेसिक शिक्षा विभाग सभी प्रधानाध्यापकों से उपभोग प्रमाणपत्र मांग रहा है। इसके लिए बीएसए ने 15 नवंबर अंतिम तिथि निर्धारित की थी। अभी तक किसी ने उपभोग प्रमाणपत्र नहीं दिए हैं, जिसको लेकर खंड शिक्षा अधिकारियों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है।
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पूरे जिले में स्वेटर वितरण लगभग पूरा हो गया है। कुछ बच्चे बचे हैं, जिसके लिए प्रधानाध्यपकों को निर्देश दिए हैं। शासन को रिपोर्ट भेजने के लिए उपभोग प्रमाणपत्र लिया जा रहा है।
- दीपिका चतुर्वेदी, बीएसए