किताबें न शिक्षक, नाम का अंग्रेजी माध्यम
जागरण संवाददाता, औरैया : मंशा तो यह थी कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को कान्वेंट स्कूलों के...
जागरण संवाददाता, औरैया : मंशा तो यह थी कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को कान्वेंट स्कूलों के मुकाबले खड़ा किया जा सके। अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए तो बच्चों ने भी प्रवेश लिया। यहां तक तो सब ठीक चला, लेकिन किताबों की उपलब्धता और शिक्षकों की नियुक्ति की बात आते ही सभी उम्मीदें ध्वस्त हो गई। छमाही परीक्षा संपन्न हो चुकी है, न तो किताबें आई और न ही शिक्षक मिले।
बेसिक शिक्षा विभाग की यह कवायद मात्र प्रयोग बनकर रह गया है। आधा सत्र बीतने के बाद भी छात्रों को किताबें नहीं मिली, वहीं अंग्रेजी के शिक्षकों की पर्याप्त तैनाती न होने से शिक्षा का स्तर भी पहले जैसा ही रहा। कई विद्यालयों में तो छात्र संख्या पिछले साल की अपेक्षा कम हो गई। हालांकि विभागीय जिम्मेदार पहले गलत छात्र संख्या दर्ज होने का तर्क दे रहे हैं। मगर, किताबों व शिक्षकों की कमी पूरी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है। जिले में एरवाकटरा विकास खंड के कुदरकोट प्रथम में छात्र संख्या लगभग 350 है। हालांकि इसी विकास खंड के भटौरा में मात्र 46 छात्र ही हैं। बिरिया, कछपुरा, केशमपुर, कंचौसी, गपचरियापुर, कंचौसी बाजार, गुनौली आदि स्कूलों में छात्र संख्या महज दो सौ से तीन सौ तक है।
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..और कम होते गए छात्र
ब्लाक विद्यालय पिछले वर्ष मौजूदा वर्ष
औरैया पढ़ीन 126 121
जौरा 256 241
अछल्दा दखनाई 212 174
औंतो 184 170
अजीतमल चिटकापुर 160 151
एल्चीनगर 140 138
गौहानी कलां 170 115 यहां नहीं बढ़ी छात्र संख्या
ब्लाक विद्यालय पिछले वर्ष मौजूदा वर्ष
अछल्दा सलेमपुर 102 102
बिधूना धनवाली 142 142
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किताबें मिली नहीं, छमाही परीक्षा हो गई
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों को बिना किताबों के ही छमाही परीक्षा देनी पड़ी। जब किताबें ही नहीं मिलीं तो परीक्षा कैसी रही होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। शायद इसीलिए छात्र संख्या के मामले में भी इन स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं नजर आ रही है।
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विद्यालयों में सभी किताबें वितरित की जा चुकी हैं। केवल कार्य पुस्तिका ही शेष है जिससे पढ़ाई पर असर नहीं पड़ रहा। अंग्रेजी शिक्षकों की जरूर कमी है। उसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे जिले को देखा जाए तो पिछले सत्र की अपेक्षा इस बार छात्र संख्या बढ़ी है।
- एसपी ¨सह, बीएसए