छात्र कम, पंजीकरण अधिक, बची किताबें तितर-बितर
आंकड़ों की बाजीगरी में बेसिक शिक्षा विभाग की कोई सानी नहीं है। स्कूल खुलने के समय किताबें नहीं मिलती, जब मिलती हैं तो पूरी बंटती नहीं। जो बच जाती हैं वह कमरों में तितर-बितर हो जाती हैं। कुछ तो रद्दी के हवाले भी कर दी जाती हैं। इसके पीछे छात्र कम और किताबें अधिक होना बताया जा रहा है। यदि ऐसा है तो यह बड़ा फर्जीवाड़ा है, और इसमें कहीं न कहीं से पूरी व्यवस्था में ही खोट है। छात्र कम, पंजीकरण अधिक होने से यह नौबत आई...
सिद्धार्थनगर : आंकड़ों की बाजीगरी में बेसिक शिक्षा विभाग की कोई सानी नहीं है। स्कूल खुलने के समय किताबें नहीं मिलती, जब मिलती हैं तो पूरी बंटती नहीं। जो बच जाती हैं वह कमरों में तितर-बितर हो जाती हैं। कुछ तो रद्दी के हवाले भी कर दी जाती हैं। इसके पीछे छात्र कम और किताबें अधिक होना बताया जा रहा है। यदि ऐसा है तो यह बड़ा फर्जीवाड़ा है, और इसमें कहीं न कहीं से पूरी व्यवस्था में ही खोट है। छात्र कम, पंजीकरण अधिक होने से यह नौबत आई है।
अब कुछ हकीकत देखिए। शुक्रवार को विद्यालय बंद थे, लेकिन कमरों के अंदर खिड़कियों से झांकतीं निगाहें उन किताबों की तरफ पड़ी, जो तितर-बितर रखी गई हैं। आदर्श पूर्व माध्यमिक विद्यालय जोगिया के कक्षा 6 स, कक्षा 7 अ और एक अतिरिक्त कक्ष में कक्षा छह से आठ तक की मंजरी-8, गणित-8, संस्कृत, पृथ्वी और हमारा जीवन, गृह शिल्प की किताबें मौजूद हैं। अन्य कमरों में भी कुछ किताबें रखी गई हैं। इन किताबों की संख्या एक हजार से कम नहीं होंगी। यही हाल प्राथमिक विद्यालय जवाहर नगर की दिखी। यहां के कमरे में किताबें तो रखी ही गई हैं, बाहर भी फेंक दी गई हैं। बाहर फेंकी गई किताबों में संस्कृत पीयूषम्-5, कक्षा एक-दो की नई किरन आदि शामिल हैं। इन किताबों के बारे में कोई भी कुछ कहने से कन्नी काट रहा है। बता दें कि शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार पूरे जनपद के 2770 विद्यालयों में पंजीकृत 3 लाख 8 हजार 967 छात्रों के हाथ में किताबें आ गई हैं। इसके बावजूद किताबों की एक खेप कुछ दिन पहले पहुंची है, जो बीआरसी नौगढ़ के प्रांगण में रखी हुई हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार अधिकांश विद्यालयों में बच्चों का नामांकन फर्जी है। जब बच्चों को आधार कार्ड से ¨लक करने की योजना चली तो इस फर्जीवाड़ा पर अकुंश लगने लगा, लेकिन फिर शासन के ही फरमान पर बच्चों को आधार कार्ड से जोड़े जाने का काम ठप हो गया। बताया जाता है कि कई स्कूलों में आधे से कम बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। जबकि रजिस्ट्रर में उपस्थिति पूरी दिखा दी जाती है। सब कुछ मिड डे मील का पैसा हजम करने के लिए किया गया है। स्कूलों की जांच के लिए सभी ब्लाकों में बीईओ तैनात हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश की संलिप्तता सामने आ रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि किताब पंजीकृत बच्चों की संख्या के हिसाब से आईं। कुछ जगहों पर किताबों का वितरण नहीं हो सका है। किताबें न बंटने के बारे में कुछ बीईओ द्वारा भी बीएसए से शिकायत की गई है।
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कक्षा-8 तक सौ फीसद किताबों का वितरण रिपोर्ट विवरण विद्यालय की संख्या छात्रों की संख्या परिषदीय प्रा.वि. 1924 220412
उच्च प्राथमिक 743 59069
अनुदानित प्रावि. 18 4793
समाज कल्याण 1 424
राजकीय विद्यालय 7 571
माध्यमिक अनुदानित 48 16429
अनुदानित मदरसा 16 5969
कस्तूरबा विद्यालय 13 1300
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कुल 2770 308967
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डीएम ने एडीएम को सौंपी जांच
भीमापार निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता ने किताब वितरण में धांधली की शिकायत डीएम से की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जो किताबें शासन से आई थीं, उसमें से अधिकांश का वितरण नहीं हो पाया है। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए डीएम कुणाल सिल्कू ने इसकी जांच उपजिलाधिकारी नौगढ़
उमेश चंद निगम को सौंप दी है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। ....................
बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में किताबों के वितरण में घोर लापरवाही और धांधली की शिकायत मिली है। इसपर जांच के लिए मैंने उपजिलाधिकारी नौगढ़ को निर्देशित किया है। रिपोर्ट आने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।
कुणाल सिल्कू
जिलाधिकारी, सिद्धार्थनगर