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सम्भल : शिक्षिका ने लिखी स्कूल में आधुनिकता की इबारत

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शिक्षिका ने लिखी स्कूल में आधुनिकता की इबारत


सम्भल असमोली के गांव भटपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका दीपा शर्मा ने स्कूल की दुर्दशा सुधारने के लिए कदम उठाए है। स्कूल में बच्चों को मैट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। बच्चों की परेशानी देखते हुए शिक्षिका ने अपनी जेब से रूपये खर्च कर बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर बनवाया है। पिछले पांच माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। वेतन मिलने के बाद वह स्कूल में रंगाई, पुताई के साथ ही पेड़ पौधे लगवाएंगी।...

अंकित गोस्वामी, सम्भल : असमोली के गांव भटपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका दीपा शर्मा ने स्कूल की दुर्दशा सुधारने के लिए कदम उठाए है। स्कूल में बच्चों को मैट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। बच्चों की परेशानी देखते हुए शिक्षिका ने अपनी जेब से रुपये खर्च कर बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर बनवाया है। पिछले पांच माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। वेतन मिलने के बाद वह स्कूल में रंगाई, पुताई के साथ ही पेड़ पौधे लगवाएंगी।

क्षेत्र के गांव भटपुरा निवासी सोमवीर ¨सह की पत्नी दीपा शर्मा शिक्षिका है। वह पिछले डेढ़ वर्ष से इलाहाबाद के प्राथमिक विद्यालय में ड्यूटी कर रही थी। पिछले माह पांच पहले उनका स्थानांतरण गांव भटपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय में हो गया। उन्होंने यहां आकर नौकरी ज्वाइन कर ली। उस वक्त स्कूल में बच्चों की संख्या कम थी। इतना ही नहीं बच्चों को बैठने के लिए भी फर्नीचर भी नहीं था। इसके बाद शिक्षिका दीपा शर्मा ने गांवों के लोगों से बच्चों को भेजने की अपील की तो संख्या बढ़ती चली गई। पिछले पांच माह से शिक्षिका दीपा शर्मा को वेतन नहीं मिला है। कुछ दिन पहले ही दीपा शर्मा ने अपनी जेब से रुपये खर्च कर बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर बनवाया। अब बच्चे मेज पर बैग रखकर और कुर्सी पर बैठकर पढ़ाई कर रहे है। इतना हीं नहीं शिक्षिका दीपा शर्मा बच्चे का जन्मदिन पार्टी के रूप में मनाती हैं और सभी बच्चों को टॉफी, चाकलेट बांटती हैं। फिलहाल स्कूल में 85 छात्र- छात्राएं पंजीकृत हैं। उनके इस कार्य की हर कोई सराहना कर रहा है।

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वर्जन

मुझे पांच माह से वेतन नहीं मिला है। मैंने अपनी जेब से 20 हजार रुपये खर्च करके फर्नीचर बनवाया है। अब मेरा मकसद यह है कि आगे जो वेतन मुझे मिलेगा तो स्कूल की रंगाई पुताई कराऊंगी। इसके साथ ही शौचालयों में खराब पड़ी पानी की टंकियों को ठीक कराया जाएगा। साथ ही स्कूल में पेड़ पौधे भी लगवाऊंगी। मैं चाहती हूं कि बच्चे अपने परिवार के साथ ही गांव व जिले का नाम रोशन करें।

दीपा शर्मा, शिक्षिका

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