लो अब गुरु जी रखेंगे बोरों का भी हिसाब
जागरण संवाददाता, औरैया: विद्यालय में मध्याह्न भोजन बनने के लिए आने वाले चावल व गेहूं के खाली बोर...
जागरण संवाददाता, औरैया: विद्यालय में मध्याह्न भोजन बनने के लिए आने वाले चावल व गेहूं के खाली बोरे का हिसाब अब रखना होगा। खाली बोरी के हिसाब से मिलने वाली राशि को एमडीएम योजना के मद में जोड़ कर खर्च किया जायेगा।
प्रदेश के सरकारी अध्यापकों को अब बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ बोरा बेचकर कमाई भी करनी होगी। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा दो नवंबर को जारी शासनादेश में कहा गया है कि प्राइमरी स्कूलों के टीचर मध्यान्ह भोजन के तहत आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न के बोरों का समुचित उपयोग करें और इसे अच्छे दामों में बेचकर स्कूल की आय में बढ़ोत्तरी करें। प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि इधर प्राइमरी स्कूल में हर महीने कम से कम से तीन चार बोरे खाली होते हैं। इन बोरों में मिड डे मील के लिए खाद्यान्न भेजा जाता है। अध्यापक खाद्य सामग्री खाली होने पर इन बोरों को सुरक्षित रखें और खाली बोरों की गणना हर स्कूल में अलग से आय व्यय पंजिका में की जाए। बोरे एकत्र हो जाने पर उसे महंगी दरों में बेचा जाए। वहीं उनसे प्राप्त आय को स्कूल के लिए कंटेनर खरीदने के काम में लाया जाए, जिसमें मिड डे मील में काम आने वाले तेल, मसाले आदि को रखा जाए।
इस राशि से मिड डे मील का मेन्यू और किचन की वॉल पें¨टग करवाई जाए। बाकि बची राशि से स्कूल की स्वच्छता और किचन गार्डन की आवश्यक सामग्री की खरीद में व्यय किया जाए। कुल मिलाकर बोरों से प्राप्त आय का उपयोग मिड-डे-मील योजना से जुड़े कार्यों में ही हो। दो नवंबर को जारी इस आदेश के बाद अध्यापकों में रोष व्याप्त है। उनका कहना हैं कि अब बोरे बेचने का काम रह गया था, सरकार यह काम भी करवा रही है। -शासन से आदेश मिलने के बाद सभी विद्यालयों को सूचित कर दिया गया है। आदेशों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।-एसपी ¨सह, बीएसए