लखनऊ : टीईटी 2017 का परिणाम निकाले बिना सहायक शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट नाराज, राज्य सरकार को कोर्ट ने दिखाया आईना, दो जनवरी को तलब किया जवाब
विधि संवाददाता, लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने टीईटी 2017 का परिणाम घोषित किये बिना 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती शुरू करने के राज्य सरकार के निर्णय पर नाराजगी जताते हुए उसे आईना दिखाया है। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा है कि राज्य सरकार को सावधानी से कार्य करना चाहिए था। इस निर्णय से बड़ी संख्या में शिक्षामित्र प्रभावित होंगे और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल सकेगा।1कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई, 2017 को साफ कहा था कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने के लिए दो अवसर दिए जाएंगे। सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास हेना अनिवार्य है। एकल पीठ ने छह मार्च, 2018 को टीईटी 2017 में गड़बड़ियां पाते हुए 14 प्रश्नों का हटाकर नए सिरे टीईटी का परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था। ऐसी दशा में टीईटी परिणाम घोषित न होने से एक अवसर खो चुके याचीगण और ऐसे ही तमाम शिक्षामित्र दूसरा अवसर भी खो देंगे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के तुरंत बाद दो जनवरी को तय करते हुए सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।1यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय व जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने श्रीकांत सहित छह शिक्षामित्रों की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। याचियों की ओर से अमित कुमार सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि एकल पीठ ने छह मार्च, 2018 को परीक्षा में गड़बड़ी पाते हुए टीईटी 2017 का परिणाम नए सिरे से घोषित करने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच ने 17 अप्रैल, 2018 को आदेश दिया, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर, 2018 को हाईकोर्ट के विशेष अपील में दिये आदेश को रद कर कहा कि याचीगण को विशेष अपील में पक्षकार बनाया जाए। 1यह भी कहा कि नौ जनवरी, 2018 को राज्य सरकार द्वारा शुरू की भर्ती प्रकिया के अनुसरण में की गई नियुक्तियां विशेष अपील के अंतिम आदेशों के आधीन रहेंगी। कहा गया कि अभी तक याचियों को विशेप अपील में पक्षकार बनाने को सरकार की ओर से अर्जी तक दाखिल नहीं की गई है।विधि संवाददाता, लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने टीईटी 2017 का परिणाम घोषित किये बिना 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती शुरू करने के राज्य सरकार के निर्णय पर नाराजगी जताते हुए उसे आईना दिखाया है। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा है कि राज्य सरकार को सावधानी से कार्य करना चाहिए था। इस निर्णय से बड़ी संख्या में शिक्षामित्र प्रभावित होंगे और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल सकेगा।1कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई, 2017 को साफ कहा था कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने के लिए दो अवसर दिए जाएंगे। सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास हेना अनिवार्य है। एकल पीठ ने छह मार्च, 2018 को टीईटी 2017 में गड़बड़ियां पाते हुए 14 प्रश्नों का हटाकर नए सिरे टीईटी का परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था। ऐसी दशा में टीईटी परिणाम घोषित न होने से एक अवसर खो चुके याचीगण और ऐसे ही तमाम शिक्षामित्र दूसरा अवसर भी खो देंगे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के तुरंत बाद दो जनवरी को तय करते हुए सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।1यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय व जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने श्रीकांत सहित छह शिक्षामित्रों की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। याचियों की ओर से अमित कुमार सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि एकल पीठ ने छह मार्च, 2018 को परीक्षा में गड़बड़ी पाते हुए टीईटी 2017 का परिणाम नए सिरे से घोषित करने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच ने 17 अप्रैल, 2018 को आदेश दिया, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर, 2018 को हाईकोर्ट के विशेष अपील में दिये आदेश को रद कर कहा कि याचीगण को विशेष अपील में पक्षकार बनाया जाए। 1यह भी कहा कि नौ जनवरी, 2018 को राज्य सरकार द्वारा शुरू की भर्ती प्रकिया के अनुसरण में की गई नियुक्तियां विशेष अपील के अंतिम आदेशों के आधीन रहेंगी। कहा गया कि अभी तक याचियों को विशेप अपील में पक्षकार बनाने को सरकार की ओर से अर्जी तक दाखिल नहीं की गई है।
राज्य सरकार को कोर्ट ने दिखाया आईना, दो जनवरी को तलब किया जवाब