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प्रयागराज : 23 साल तक शिक्षक पद पर नौकरी करने वाला अध्यापक बर्खास्त, पिता थे किसान, मृतक आश्रित कोटे से बन गया शिक्षक, वेतन रिकवरी के आदेश

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प्रयागराज : 23 साल तक शिक्षक पद पर नौकरी करने वाला अध्यापक बर्खास्त, पिता थे किसान, मृतक आश्रित कोटे से बन गया शिक्षक, वेतन रिकवरी के आदेश



फर्जी नियुक्ति पत्र पर बन गया था शिक्षक, गई नौकरी

जागरण संवाददाता, प्रयागराज: सरकारी नौकरी देने से पहले जांच की तमाम प्रक्रियाएं होती हैं, इसके बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग में एक व्यक्ति पिछले 18 वषों से फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर शिक्षक बना रहा। शिकायत हुई तो जांच कराई गई। फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर बीएसए ने शिक्षक की सेवा समाप्त करते हुए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने तथा नियुक्ति से अब तक लिए गए वेतन की वसूली का आदेश दिया है।

विकास खंड मऊआइमा के प्राथमिक विद्यालय में ज्ञान चंद्र त्रिपाठी को पिता उमाकांत त्रिपाठी के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे में नवंबर 1995 में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली। मामले में पिछले वर्ष अक्तूबर में शिकायत हुई तो जांच शुरू कराई गई। ज्ञान चंद्र की सेवा पुस्तिका के अनुसार उसके पिता की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय बड़ौहा विकास खंड करछना में थी। मृत्यु तिथि 25 जून 1982 दर्ज थी। खंड शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ज्ञान चंद्र ने जिस विद्यालय में पिता की नियुक्ति का जिक्र किया, वह विद्यालय करछना में नही है। इसके बाद बीएसए ने जनवरी 2018 में ज्ञान चंद्र का वेतन रोक दिया। फिर जांच के लिए मई 2018 में दो सदस्यीय समिति गठित की गई। समिति के सदस्यों ने ज्ञान चंद्र के गांव पहुंचकर परिवार तथा आसपास के लोगों से पूछताछ की। पता चला कि उमाकांत त्रिपाठी महज किसान थे और उनकी मृत्यु पांच जुलाई 2013 को हुई। बीएसए ने पत्र जारी कर ज्ञान चंद्र से पिता की नियुक्ति, पेंशन से संबंधित कागजों के साथ स्पष्टीकरण मांगा। कई पत्रचार के बाद ज्ञान चंद्र ने लिखित में बयान दिया कि उसके अस्थायी निवास पर कई वर्ष पूर्व आग लगने के कारण सामान के साथ मूल अभिलेख भी जल गए। किसी भी तरह से पुष्टि नहीं होने पर बीएसए संजय कुमार कुशवाहा ने 26 दिसंबर को ज्ञान चंद्र की सेवा समाप्त करने तथा वेतन की वसूली का आदेश दिया। खंड शिक्षा अधिकारी मऊआइमा को ज्ञान चंद्र के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी कहा गया है।

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