.तो अटक जाएगी स्कूली शिक्षा में सुधार की रफ्तार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : स्कूली शिक्षा में सुधार में जुटी सरकार की राह में फिलहाल स्कूलों में आठवीं तक फेल न करने की सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। इसके चलते स्कूली शिक्षा में सुधार की पूरी गाड़ी अटकी पड़ी है। सरकार इससे जुड़े बिल को पिछले दो सत्रों से पारित कराने में जुटी है, लेकिन हंगामे के चलते शिक्षा में सुधार से जुड़ा यह अहम बिल संसद से पारित नहीं हो पा रहा है। इस बिल को लेकर सरकार की रुचि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्यसभा की कार्यसूची में पहले दिन से सरकार ने इसे सबसे ऊपर रखा है।1सरकार ने शीतकालीन सत्र में इसे पारित कराने की पूरी तैयारी की थी। लेकिन पिछले दो दिनों से संसद में जिस तरह से हंगामा चल रहा है उसे देख सरकार का चेहरा उतरा हुआ है। यह स्थिति तब है, जब स्कूली शिक्षा में सुधार के इस बिल को 25 राज्यों का खुला समर्थन हासिल है। सभी राज्य अपने यहां इस बदलाव को जल्द से जल्द लागू करना चाहते हैं। लेकिन राज्यसभा में बिल के फंसे होने से पूरी योजना पर पानी फिरता दिख रहा है।1बदलाव से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद : मानव संसाधन विकास मंत्रलय का मानना है कि इस बदलाव के बाद स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। क्योंकि मौजूदा समय में आठवीं तक छात्रों को फेल न करने की नीति से शैक्षणिक गुणवत्ता में पहले के मुकाबले गिरावट आई है। 1’>>25 राज्यों के समर्थन के बाद भी राज्यसभा में अटका है बिल 1’>>हंगामे के चलते पिछले दो सत्रों से नहीं हो पा रहा है पारित 1’>>शीतकालीन सत्र में कार्यसूची में सबसे ऊपर, लेकिन हंगामे से बढ़ी मुश्किलनौवीं में फेल होने वालों की संख्या बढ़ी1 गौरतलब है कि यूपीए सरकार के दौरान स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आठवीं तक फेल न करने की नीति लाई गई थी। इसके चलते प्रत्येक छात्र आठवीं तक पास होता चला जाता है, जबकि नौवीं में वह फेल हो जाता है। नौवीं में छात्रों के फेल होने की संख्या बढ़ गई थी। सरकार का दावा है कि इसके चलते स्कूल मिड-डे मील सेंटर के रूप में तब्दील होकर रह गए थे।