अधूरा तो कुछ जर्जर हैं आंगनबाड़ी केंद्र
सिद्धार्थनगर : गर्भवती धात्री महिलाओं, तीन से छह माह के शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के साथ ही इन नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था का जिम्मा उठाने वाला बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग जर्जर भवनों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे न केवल मासूमों की ¨जदगी खतरे में दिखाई दे रही है, वरन केंद्र को भी इधर-उधर जैसे चलाना पड़ रहा है। स्थित ये है कि कुछ केंद्र अधूरे हैं, तो ऐसे भी भवन है, जो बनकर तैयार हैं, मगर वहां केंद्र संचालित नहीं होता है, जिसके कारण उपेक्षित भवन की हालत दिनों दिन जर्जर हो रही है।
क्षेत्र के बेतनार मुस्तहकम, धनोहरी, विशुनपुर हरि, सिकटा, मुबारकपुर, भरवठिया जैसे दर्जनों ऐसे गांव है, जहां बने आंगनबाड़ी केंद्र निरर्थक साबित हो रहे हैं। अधिकतर भवनों के फर्श, प्लास्टर, खिड़की दरवाजे, हैण्डपम्प आदि टूटकर खराब हो चुके हैं, तो कुछ भवनों को अपूर्ण स्थिति में छोड़ कर ही ठेकेदार चम्पत हो गए। बिना छत लदे भवन की दीवारें जर्जर होने लगी हैं। बेतनार में करीब 5 लाख की लागत से निर्मित भवन जो, कि अभी पिछले सत्र में ही निर्मित हुआ है, उसका फर्श पूरी तरह धंस कर टूट चुका है, दिवालों पर लगे प्लास्टर जगह-जगह उजड़ रहे हैं। खिड़की दरवाजे अभी से दरकने लगे है। शौचालय भी नहीं बना है। लगवाए गए दोनों देशी हैण्डपम्प खराब हो चुके हैं। इससे भी बुरी दशा विशुनपुर हरि स्थित भवन की है, जिसका निर्माण 2014-15 में हुआ है। यहां फर्श, प्लास्टर तो टूट ही चुके हैं, ठेकेदार द्वारा खिड़की व दरवाजा भी नहीं लगवाया गया है। जिसके कारण जहरीले जीवों ने इसे अपना बसेरा बना लिया है। 2010-11 में बने धनोहरी में करीब 3 लाख की लागत से बना आंगनबाड़ी केंद्र ठेकेदार की मनमानी की वजह से अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है। बिना छत लदवाए ठेकेदार फरार हो गए। अधिकतर भवनों का निर्माण कार्यदायी संस्था ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा करवाया गया है। चूंकि ठेकेदार ऊपर से ही कमीशन फिट करके काम ले आते हैं, इसलिए स्थानीय स्तर पर अधिकारी भी बेबस रहते हैं। ।सरफुद्दीन, उमेश यादव, जियाउद्दीन, भगवानदीन, जमील अहमद, रामनरेश, हकीम, रफीक, इम्तियाज, त्रिवेणी, वंशीलाल आदि ने उच्चाधिकारियों से भवनों की दशा में सुधारने की दिशा में उचित कदम उठाए जाने की मांग की है। बाल विकास परियोजना अधिकारी अभय प्रताप ¨सह का कहना है, कि ऐसे केंद्रों को ¨चहित कराया जा रहा है, जो अधूरा अथवा बिना इस्तेमाल के उपेक्षित हैं। इसके बाद उचित कार्रवाई के लिए आला अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा।