मुरलीछपरा में सरकारी प्रयास विफल, बेपटरी प्राथमिक शिक्षा
सरकार के स्कूल चलो अभियान, ड्रेस, वजीफा सहित तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद भी प्राथमिक शिक्षा जनपद के कई शिक्षा क्षेत्रों में अभी भी बेपटरी ही दिख रही है। अच्छा वेतन पाने वाले शिक्षकों में ऐसे शिक्षकों की लंबी लिस्ट है जो या घर बैठ कर वेतन ले रहे हैं या विद्यालय जाते भी हैं तो उनकी लापरवाही से वहां बच्चों की संख्या ही गायब हो चली है। अभिभावक भी इस बात को जानते हैं कि इस तरह के लापरवाह शिक्षक उनके बच्चे का भविष्य बर्बाद कर सकते हैं बना नहीं सकते।...
जागरण संवाददाता, दोकटी (बलिया) : सरकार के स्कूल चलो अभियान, ड्रेस, वजीफा सहित तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद भी प्राथमिक शिक्षा जनपद के कई शिक्षा क्षेत्रों में अभी भी बेपटरी ही दिख रही है। अच्छा वेतन पाने वाले शिक्षकों में ऐसे शिक्षकों की लंबी लिस्ट है जो या घर बैठ कर वेतन ले रहे हैं या विद्यालय जाते भी हैं तो उनकी लापरवाही से वहां बच्चों की संख्या ही गायब हो चली है। अभिभावक भी इस बात को जानते हैं कि इस तरह के लापरवाह शिक्षक उनके बच्चे का भविष्य बर्बाद कर सकते हैं बना नहीं सकते। इसलिए अभिभावक अपने बच्चे का नाम भले ही सरकारी विद्यालयों में चलाते हैं लेकिन वे किसी निजी विद्यालय में ही उन्हें पढ़ने के लिए भेजते हैं। जिले में अन्य स्थानों की अपेक्षा शिक्षा क्षेत्र मुरलीछपरा की तस्वीर सबसे खराब है। अधिकारी भी इस बात को जानते हैं, लेकिन वे लापरवाही शिक्षकों पर कोई कार्रवाई करने के बजाय, उनके पक्ष में बयान देते हुए कहते हैं कि यहां सबकुछ ठीक चल रहा है।
शिक्षा क्षेत्र मुरलीछपरा की एक पड़ताल करने पर यहां प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 97, उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 30 व दो ऐडेड विद्यालय हैं। इनमें मात्र 20 फीसदी ही विद्यालय ऐसे हैं जहां रजिस्टर में प्रवेश के हिसाब से बच्चे विद्यालय में दिखते हैं। बाद बाकी 80 फीसदी प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति अच्छी नहीं है। विद्यालय के प्रवेश रजिस्टर में भले ही भरपूर संख्या है लेकिन मौके पर हर दिन उनमें से 20 प्रतिशत बच्चे ही विद्यालय पढ़ने आते हैं। अभिभावक मानते हैं कि ऐसे हालात मोटा वेतन प्राप्त करने वाले शिक्षकों की लापरवाही के चलते ही है। उदाहरण के तौर पर मुरली छपरा के प्राथमिक विद्यालय गोवर्धन पहाड़ संसार के टोला, प्राथमिक विद्यालय दलजीत टोला, प्राथमिक विद्यालय दलजीत टोला काली स्थान, उच्च प्राथमिक विद्यालय रामनगर, प्राथमिक विद्यालय फिरंगी टोला, प्राथमिक विद्यालय बकुल्हा, प्राथमिक विद्यालय प्रीतम छपरा, प्राथमिक विद्यालय सुकरौली सहित और भी दर्जनों विद्यालय हैं जहां पर शिक्षकों की तैनाती में कोई कमी नहीं है। लगभग विद्यालयों में दो शिक्षक जरूर हैं, लेकिन विद्यालयों में सभी शिक्षक कभी नहीं दिखाई देते। कुछ तो कहीं दूसरे जगह स्थाई रुप से रह कर कोई दूसरा काम करते हैं और अपना वेतन भी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। इस संबध में ब्लाक स्तरीय अधिकारियों से जब लोग शिकायत करते हैं तो वे कहते हैं कि यहां इस तरह की कोई बात नहीं है। --इनसेट--प्रधानाध्यापक ने किराए पर दिया है स्कूल का कमरा
मुरलीछपरा के ही प्राथमिक विद्यालय बाबू के शिवपुर है में तो प्रधानाध्यापक ने सारी सीमाएं ही लांध दी है। यहां प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय एक ही प्रांगण में चलता है। इस गांव के निवासी बूढ़ा ¨सह सहित दर्जनों ग्रामीण बताते हैं कि प्रधानाध्यापक को न तो विद्यालय से मतलब है और न ही उनके अपने ड्यूटी से। बस उनको मतलब रहता है तो एमडीएम के चेक भुनाने से। अभी हाल ही में उच्च प्राथमिक विद्यालय का एक कमरा उन्होंने मजदूरों को ठहरने के लिए किराए पर दे रखा है। यहां भी नामांकन रजिस्टर में छात्रों की संख्या संतोषजनक है, अध्यापक भी भरपूर हैं, फिर भी बच्चे इकाई की संख्या में ही पढ़ने पहुंचते हैं। अध्यापक विद्यालय में जाना मुनासिब नहीं समझते। वे अपने स्थान पर किसी और को तैनात करते हैं और उसके बदले हजार, दो हजार रुपये देते हैं। ----वर्जन----
मुरलीछपरा शिक्षा क्षेत्र के सभी विद्यालयों की चे¨कग होते रहती है। मैं विद्यालयों स्वयं जांच करता हूं। इस दौरान जो अनुपस्थित मिलते हैं उनका वेतन काट देता हूं और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए अपनी रिपोर्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजता हूं। इस तरह की शिकायतों पर सख्त कार्रवाई होगी।
हेमंत कुमार मिश्र, खंड शिक्षा अधिकारी, मुरली छपरा