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वाराणसी : यहां धमाकों के बीच पढ़ाई करते हैं बच्चे, कांपती हैं स्कूल की दीवारें

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यहां धमाकों के बीच पढ़ाई करते हैं बच्चे, कांपती हैं स्कूल की दीवारें

सोनभद्र, जेएनएन। गोविंदपुर स्थित म्योरपुर ब्लाक मुख्यालय से 80 किमी दूर मध्य प्रदेश सीमा से सटे ग्राम पंचायत चिल्काडाड़, मीसिरा, कोहरौलिया के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र प्रतिदिन आसपास के कोयला खदानों में होने वाले धमाकों के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्थिति यह है कि स्कूलों में एक नियत समय पर जोर का धमाका सुनाई देता है, जिसके कारण स्कूल के जर्जर भवन हिलने लगते हैं, मानो जैसे भूकंप आ गया हो।

इसके इतर इस तरह के धमाकों के बीच इन बच्चों की मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है, इस पर कोई कुछ बोलने से कतरा रहा है। सीएचसी म्योरपुर के चिकित्सक डा. आत्म प्रसाद का कहना है कि ऊर्जांचल के स्कूलों के छात्रों में अलग तरह की बीमारियां देखने को मिलती हैं। जिसका सीधा संबंध प्रदूषण से होता है।

हैवी ब्लास्टिंग से कान पर भी असर होता है, पर जांच के दौरान किसी ने इसकी शिकायत नहीं की है। अनपरा के पूर्व प्रधान मोती लाल यादव, प्रमोद श्रीवास्तव का कहना है कि उद्योग और खदान के नजदीक जो भी स्कूल व कालेज हैं उन्हें इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है।

अनपरा से लेकर खड़िया व सिंगरौली तक इससे संबंधित बीमारियों का जाल बिछा हुआ है। ग्रामीण इंद्रजीत सिंह का कहना है कि परियोजनाओं के एकदम सटे गांव को दूसरे स्थान पर स्थापित किया जाए तभी बात बन सकती है। अनपरा उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका का कहना है कि स्कूल में रोज एक परत कोयले की धूल जम जाती है। जिसके कारण पूरे दिन शिक्षक व छात्र इससे परेशान रहते है। चर्म रोग, खांसी व श्वांस संबंधित बीमारियां बच्चों में आम बात हो गई है। सीएचसी अधीक्षकडा. योगेश्वर प्रसाद ने कहा कि समस्याएं तो हैं पर इसके लिए ठोस नीति और जांच की जरूरत है।

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