मोबाइल स्कूल से अशिक्षा का अंधियारा मिटाने की कोशिश
जागरण संवाददाता, उन्नाव : इरादे यदि नेक हो तो मंजिल दूर नहीं होती। इसे ठान निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए आदित्य कुमार की साइकिल जिले में दौड़ पड़ी है। वह मोबाइल स्कूल के नाम से अपनी यात्रा को बढ़ाते हुए झुग्गी-झोपड़ी और भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में लगे हैं।
कृषक परिवार से जुड़े आदित्य कुमार पुत्र भूपनारायन निवासी गांव सलेमपुर (फर्रुखाबाद) ने डीएवी कॉलेज कानपुर से उच्च शिक्षा हासिल की। गरीबी में पले-बढ़े आदित्य ने पढ़ाई के बाद नौकरी न करते हुए 'आओ भारत को साक्षर बनाए' को ही अपनी पहचान बनाने की ठान ली। इसके बाद वह गरीबों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए निकल पड़े हैं। कई प्रांतों में भ्रमण करते हुए उनकी साइकिल यात्रा उन्नाव जिले पहुंची है। चार दिवसीय यात्रा में जरूरतमंद के पास पहुंच वह शिक्षा की लौ जला रहे। आदित्य ने बताया कि वह निरंतर 26 सालों से प्रयासरत हैं। उनके प्रयासों की सराहना करने में शासन ने भी कोई कसर नहीं रखी।
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जिले में इन गांवों में किया भ्रमण
- सोनिक, अजगैन, बसीरतगंज, जैतीपुर, सिकंदरपुर सरोसी, सिकंदरपुर कर्ण के करीब आधा सैकड़ा गांव व कस्बों में पहुंच कर उन्होंने मोबाइल स्कूल के जरिए बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। आदित्य ने बताया कि करीब 26 सालों से वह इस क्षेत्र में प्रयासरत है।
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कई रिकॉर्ड किये नाम
- लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वंडर बुक ऑफ इंटरनेशनल, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, जीनियस बुक ऑफ रिकॉर्ड सहित 57 रिकॉर्ड अपने नाम किए। इसके अलावा विभिन्न मंचों पर उन्हें ऑल इंडिया साइकिल गुरू का नाम देकर सम्मानित किया गया।