प्रतियोगिता कराने के लिए शिक्षकों से जुटाई गई धनराशि
पहली बार मंडलीय खेल प्रतियोगिता की मेजबानी कर रहे बेसिक शिक्षा विभाग के प्रतियोगिता कराने में पसीने छूट गए। विवादों में रही प्रतियोगिता को सफल कराने के लिए अधिकारियों को स्कूलों से चंदा तक करना पड़ गया। हर स्कूल से पांच-पांच सौ रुपये प्रतियोगिता कराने के नाम पर लिए गए है। जबकि जो रुपये प्रतियोगिता कराने के लिए आए थे। वह खर्च तक नहीं हुए है। कुछ शिक्षकों ने रुपये देने से मना किया तो उन्हें कार्रवाई करने तक की चेतावनी दी।...
चन्दौसी: पहली बार मंडलीय खेल प्रतियोगिता की मेजबानी कर रहे बेसिक शिक्षा विभाग के प्रतियोगिता कराने में पसीने छूट गए। विवादों में रही प्रतियोगिता को सफल कराने के लिए अधिकारियों को स्कूलों से चंदा तक करना पड़ गया। हर स्कूल से पांच-पांच सौ रुपये प्रतियोगिता कराने के नाम पर लिए गए है जबकि जो रुपये प्रतियोगिता कराने के लिए आए थे। वह खर्च तक नहीं हुए है। कुछ शिक्षकों ने रुपये देने से मना किया तो उन्हें कार्रवाई करने तक की चेतावनी दी।
जनपद ने पहली बार मंडलीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। 3 दिसंबर से शुरू हुई प्रतियोगिता में पहले दिन से ही व्यवस्थाओं पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। व्यवस्था देखकर अन्य जनपदों के शिक्षक भी नाराज लगे। इतनी खराब व्यवस्था जब हुई जब जिले के प्रत्येक विद्यालय से प्रतियोगिता को बेहतर बनाने के लिए चंदा किया गया है। बताते हैं कि प्रतियोगिता के लिए 25 हजार रुपये शासन की तरफ से आए थे, लेकिन अधिकारियों ने उन रुपयों को खर्च करने के बजाए स्कूलों से चंदा कराना शुरू कर दिया। प्रत्येक विद्यालय से पांच-पांच सौ रुपये लिए गए है। कुछ शिक्षकों ने रुपये देने का विरोध किया तो अधिकारियों ने कार्रवाई करने की चेतावनी देनी शुरू कर दी। ऐसे में कार्रवाई से बचने के लिए शिक्षकों को रुपये देने पड़ रहे हैं। इस मामले में बीएसए से जानकारी करने का प्रयास किया तो उन्होंने सवाल सुनते ही फोन काट दिया। बाद में कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
क्या होगा सात लाख रुपये का
चन्दौसी: विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर प्रत्येक विद्यालय से पांच-पांच सौ रुपये एकत्र किए जा रहे हैं। ऐसे में जिले में 1400 से अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय है। अगर सभी से पांच-पांच रुपये विभाग के अधिकारियों को मिल गए तो फिर सात लाख से अधिक रुपये हो जाएंगे जबकि सात रुपये तो प्रतियोगिता कराने में खर्च नहीं होंगे। ऐसे में जो रुपये बचेंगे वह कहा जाएंगे। शिक्षकों ने बताया कि सभी विद्यालयों से पांच-पांच सौ रुपये लिए जा रहे हैं। न देने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी जा रही है।