.मुख्यमंत्री जी ! कैसे पढ़ें व आगे बढ़े बच्चे
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन पूरी तरह गंभीर है। बच्चों को बेहतर शिक्षा हासिल हो इसके लिए तमाम कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं बावजूद इसके नगर क्षेत्र के विद्यालयों की अनदेखी तमाम प्रयास व अभियान पर ग्रहण लगाते दिख रही है। भदोही नगर के मामदेवपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय में उधार के एक शिक्षक के भरोसे संवर रहे सैकड़ों बच्चों को देखते हुए यह सवाल खड़ा है कि 'मुख्यमंत्री जी' कैसे पढ़ें व आगे बढ़े बच्चे।...
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन पूरी तरह गंभीर है। बच्चों को बेहतर शिक्षा हासिल हो इसके लिए तमाम कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं बावजूद इसके नगर क्षेत्र के विद्यालयों की अनदेखी तमाम प्रयास व अभियान पर ग्रहण लगाते दिख रही है। भदोही नगर के मामदेवपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय में उधार के एक शिक्षक के भरोसे संवर रहे सैकड़ों बच्चों को देखते हुए यह सवाल खड़ा है कि 'मुख्यमंत्री जी' कैसे पढ़ें व आगे बढ़े बच्चे।
प्राथमिक स्तर की शिक्षा को पूरे शिक्षा व्यवस्था की नींव माना जाता है। कहा जाता है कि जब नींव मजबूत होगी तभी उस पर बुलंद इमारत खड़ा किया जा सकता है। नगर क्षेत्र भदोही के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके मामदेवपुर में लाखों रुपये की लागत से करीब चार वर्ष पूर्व कंपोजिट विद्यालय का निर्माण कराया गया। इसके साथ ही वर्ष 2015 से अस्थाई रूप से प्राथमिक विद्यालय ठकुरा के एक शिक्षक को लगाकर उसका संचालन भी शुरू करा दिया गया। उसके बाद आज तक फिर शासन-प्रशासन स्तर से मुड़कर यह नहीं देखा गया कि विद्यालय की क्या दशा है। लिहाजा मौजूदा समय में उक्त विद्यालय में कक्षा एक से लेकर आठ तक के कक्षाओं में नामांकन तो 538 बच्चों का हो चुका है तो नियमित तौर पर तीन से साढ़े तीन सौ बच्चों की रोज उपस्थिति भी सुनिश्चित होती है लेकिन एक मात्र उधार के शिक्षक के सहारे कैसे उनका भविष्य संवरेगा इसे स्वत: ही समझा जा सकता है। कारण है कि एक शिक्षक के लिए अलग-अलग इतने बच्चों को पढ़ाना तो दूर संभाल पाना भी आसान काम नहीं हैं। हालांकि इसके बाद भी शिक्षक राजीव कुमार श्रीवास्तव का कहना रहा कि उनसे जो बन पड़ रहा है कर रहे हैं। वह यह भी दावा करने से नहीं पीछे हटते की किसी भी परिषदीय विद्यालय के बच्चों से उनके बच्चों को मिलाया जा सकता है। वैसे जो भी लेकिन एक शिक्षक के सहारे इतने बच्चों का शिक्षण कार्य पूरा करना व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़ा कर रहा है।
शासन स्तर का है मामला
- कंपोजिट विद्यालय नगर क्षेत्र में आता है। शिक्षकों की नियुक्ति शासन स्तर का मामला है। पिछले कई वर्ष से नगर क्षेत्र के विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जब तक नगर क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगा या फिर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों से शिक्षकों को नगर क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए कोई नीति नहीं बनेगी समस्या बनी रहेगी। वैसे विद्यालय की स्थिति के बारे में शासन को प्रस्ताव व पत्र दोनों भेजा जा चुका है।
- जंगीलाल, खंड शिक्षाधिकारी, भदोही।