भर्ती की लिखित परीक्षा के 16 प्रश्नों पर आपत्तियां
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : चंद दिन पहले केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी सीटीईटी की परीक्षा का परिणाम आ गया। इम्तिहान होने के बाद से लेकर रिजल्ट तक कोई विवाद भी नहीं हुआ। इसके उलट यूपी टीईटी के परिणाम विवादों के साए में ही आए हैं। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के जवाब पर आपत्तियां भेजी। संशोधित उत्तर कुंजी में कई प्रश्नों के उत्तर बदले, फिर भी अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं हुए। उसे हाईकोर्ट से लेकर शीर्ष कोर्ट तक में चुनौती दी गई।
असल में, यूपी टीईटी का प्रश्नपत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञ पुरानी गलतियों से सबक सीखने को तैयार ही नहीं हैं। इसीलिए टीईटी 2017 में जहां 16 प्रश्नों पर विवाद हुआ, वहीं 2018 में 15 प्रश्नों को कोर्ट में चुनौती दी गई। इसी के कारण कई अभ्यर्थियों को कोर्ट के आधार पर परीक्षा में शामिल कराना पड़ा है। दोनों मामलों में अंतिम निर्णय विशेषज्ञों के निर्णय को अंतिम मानते हुआ है लेकिन, ऐसे हालात नहीं बन पा रहे हैं कि प्रश्नों के जवाब पर विवाद की नौबत ही न आए। शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में भी करीब 16 प्रश्नों के जवाब पर आपत्तियां की जा रही हैं, तमाम अभ्यर्थी आपत्तियां भेज चुके हैं तो अन्य शुक्रवार शाम छह बजे तक भेजने की तैयारी कर रहे हैं।
खास बात यह है कि अभ्यर्थियों ने इस बार आपत्तियां बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ाई जा रही कक्षा एक से आठ की किताबों से तैयार किया है, जिसे खारिज करना विशेषज्ञों के लिए आसान नहीं होगा। एक अभ्यर्थी की मानें तो नाथ पंथ के प्रवर्तक का नाम कक्षा छह की किताब में मत्स्येंद्रनाथ व गोरखनाथ दोनों लिखा है। उसका कहना है कि जब बच्चों को यह पढ़ाया जा रहा है तो गोरखनाथ का नाम खारिज कैसे किया जा सकता है। इसी तरह से अन्य प्रश्नों में भी परिषदीय किताबें अभ्यर्थियों का हथियार बन रही हैं। हालांकि शीर्ष कोर्ट का निर्णय है कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का अंतिम जवाब विशेषज्ञ की ओर से ही तय होना है।
प्रश्नों के कई विकल्प हुए थे मान्य : 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में तमाम प्रश्नों के कई-कई विकल्प मान्य करना पड़ा था। इसीलिए वह प्रकरण कोर्ट तक नहीं पहुंचा था लेकिन, परीक्षा संस्था की किरकिरी जरूर हुई थी।