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लखनऊ : सहायक शिक्षक भर्ती के परिणाम घोषित करने पर हाई कोर्ट की 28 तक रोक

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सहायक शिक्षक भर्ती के परिणाम घोषित करने पर हाई कोर्ट की 28 तक रोक


सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम में कट ऑफ को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे पहले कोर्ट ने आज तक परिणाम घोषित करने पर रोक लगाई थी।...

लखनऊ, जेएनएन। सहायक शिक्षक के लिए करीब 69000 पद की भर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रोक लगा दी है। फिलहाल इसका परिणाम 28 जनवरी तक नहीं घोषित किया जा सकेगा।इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम पर 28 जनवरी तक रोक लगा दी है। 6 जनवरी 2019 को 69 हजार पदों के लिए हुई शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम 22 जनवरी को घोषित किया जाना था। उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती की परीक्षा के क्वालिफाइंग मार्क्स को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष चुनौती दी गई थी।

सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम में कट ऑफ को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे पहले कोर्ट ने आज तक परिणाम घोषित करने पर रोक लगाई थी। आज भी करीब दो घंटे चली बहस के बाद कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखने के दिए आदेश। अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तिथि तय की है। बहस के दौरान सरकार की ओर से दलील दी गई कि अध्यापक का पद महत्तवपूर्ण है, लिहाजा मेरिट से हम समझौता नहीं कर सकते हैं।

गौरतलब है कि सामान्य वर्ग में 65 और आरिक्षत वर्ग में 60 फीसदी अंक पाने वाले अभ्यर्थी ही इस परीक्षा में क्वालिफाई मानें जाएंगे जो शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कटऑफ 2018 की शिक्षक भर्ती के मुकाबले 20 फीसदी अधिक है। 2018 की शिक्षक भर्ती परीक्षा में 40 और 45 फीसदी कटऑफ अंक रखे गए थे।

इससे पहले शिक्षामित्रों का कहना है कि जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने जब उनका समायोजन रद्द किया तो यह भी कहा था कि आगामी दो भर्तियों में उनको वेटेज अंक और उम्र में छूट दी जाएगी। इसमें से 68500 पदों की एक भर्ती 2018 में हो चुकी है और 69 हजार पदों की दूसरी परीक्षा हाल ही में 6 जनवरी को हुई है। परीक्षा से पहले किसी तरह का कटऑफ तय नहीं किया गया था।

कोर्ट बेहद सख्त-कहा अभ्यर्थियों का ख्याल न होता तो निरस्त कर देते भर्ती

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 18 जनवरी को 69 हजार सहायक शिक्षकों के भर्ती परीक्षा के संबंध में अधिकारियों के रवैये पर कई बार सख्ता टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते। कोर्ट ने हैरानी जताई कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया पूरी कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं। दरअसल, कोर्ट ने तय सिद्धांतों को अनदेखा कर छह जनवरी को लिखित परीक्षा होने के बाद नियमों में परिवर्तन कर उत्तीर्ण प्रतिशत तय किये जाने के विधिक औचित्य पर यह टिप्पणी की। साथ ही कोर्ट ने परीक्षा परिणाम पर गुरुवार को यथास्थिति बरकरार रखने संबधित आपने आदेश को 21 जनवरी तक बढ़ा दी थी। यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मो. रिजवान व अन्य समेत दर्जनों अभ्यर्थियों की करीब एक दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।

याचियों ने राज्य सरकार की ओर से सात जनवरी को जारी उत्तीर्ण प्रतिशत तय करने संबधी नियम को चुनौती दी गई है। नए नियम के तहत सरकार ने 65 प्रतिशत सामान्य वर्ग के और 60 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत घोषित किया है। याचिकाओं में कहा गया है कि कि एक दिसंबर, 2018 को भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं तय किया गया था। छह जनवरी को लिखित परीक्षा हो गई, जिसके बाद सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए उत्तीर्ण प्रतिशत तय कर दिए, जबकि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों मे परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

राज्य सरकार के वकील सुनवाई के दौरान इस तर्क का जवाब नहीं दे सके कि पूर्व में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण प्रतिशत 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था तो इस बार लिखित परीक्षा के बाद सात जनवरी को अचानक 65 व 60 प्रतिशत क्यों तय कर दिया गया।

कोर्ट ने छह मार्च, 2018 को टीईटी 2017 परीक्षा के पुनर्मूल्यांकन के संबंध में दिये आदेश का अब तक अनुपालन न किये जाने पर भी नाराजगी जताई। उल्लेखनीय है कि उक्त आदेश पर दो सदस्यीय खंडपीठ ने रोक लगा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के आदेश को इस आधार पर खारिज कर दिया कि एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं दाखिल करने वाले सभी याचियों को सरकार की विशेष अपील में पक्षकार नहीं बनाया गया था। शीर्ष अदालत ने दो सदस्यीय खंडपीठ पीठ को मामले को पुन: सुनने को कहा था लेकिन, सरकार की ओर से दिसंबर 2018 तक याचियों को पक्षकार नहीं बनाया गया और न ही छह मार्च, 2018 के आदेश का अनुपालन किया गया, जबकि टीईटी 2017 की परीक्षा देने वाले शिक्षामित्रों के लिए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 आखिरी मौका है। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार उन्हें मात्र दो परीक्षाओं में 25 नंबरों का वेटेज मिलना है।

पहले परीक्षा, अब परिणाम पर असमंजस

अजीब संयोग है परिषदीय स्कूलों की 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती की पहले लिखित परीक्षा और अब परिणाम हाईकोर्ट के आदेश के अधीन हो गया है। इम्तिहान के ठीक एक दिन पहले ही यह तय हो सका कि परीक्षा तय तारीख पर होगी। परीक्षा परिणाम के एक दिन पहले यह तय होगा कि रिजल्ट में उत्तीर्ण प्रतिशत क्या होगा। बेसिक शिक्षा परिषद की 68500 और 69 हजार शिक्षक भर्ती का लगभग हर निर्णय कोर्ट की चौखट पर पहुंचा है। परीक्षा के पहले यूपी टीईटी 2017 के 16 प्रश्नों का जवाब का मामला सबसे पहले कोर्ट में पहुंचा।

सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने 68500 भर्ती की लिखित परीक्षा के पहले कटऑफ अंक घटाकर 33 व 30 प्रतिशत कर दिए थे। उसे भी कोर्ट में चुनौती दी गई, कोर्ट ने पांच अगस्त 2017 को निर्णय दिया कि परिणाम शासनादेश में तय 45 व 40 प्रतिशत पर जारी होगा। रिजल्ट आया तो मूल्यांकन में गड़बड़ी को लेकर याचिका दाखिल हुई। कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही उच्च स्तरीय जांच और पुनर्मूल्यांकन तक के निर्णय हुए। भर्ती की सीबीआइ जांच का प्रकरण फिलहाल ठंडे बस्ते में है।

अब 69 हजार भर्ती में परीक्षा के पहले टीईटी 2018 के 15 प्रश्नों के जवाब को लेकर हिमांशु कुमार व अन्य ने याचिका दाखिल की। इस मामले में पांच जनवरी को फैसला आया। सात जनवरी को शासन ने उत्तीर्ण प्रतिशत तय किया। अब उसे लखनऊ खंडपीठ मोहम्मद रिजवान व अन्य ने चुनौती दी है। इस पर निर्णय 21 जनवरी को आना है, जबकि 22 जनवरी को परीक्षा परिणाम घोषित करने की तारीख पहले से तय है। कोर्ट के फैसले से ही तय होगा कि रिजल्ट का उत्तीर्ण प्रतिशत आखिर क्या होगा। 

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