विद्यालय जाने का कोई रास्ता नहीं
सिद्धार्थनगर : क्षेत्र में बहुत सारे परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां आने-जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। स्कूल भवन के निर्माण के समय इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, नतीजा, इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा...
सिद्धार्थनगर :
क्षेत्र में बहुत सारे परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां आने-जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। स्कूल भवन के निर्माण के समय इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, नतीजा, इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक विद्यालय ग्राम पंचायत जलालपुर में है। वर्ष 1998 में प्राथमिक विद्यालय का निर्माण कराया गया। जबकि 1999 में शिक्षा सत्र शुरू हुआ। परंतु रास्ते पर ध्यान नहीं दिया गया। स्कूल की बाउंड्री तक बनाई गई, परंतु रास्ता किधर से है, पता ही नहीं चलता है। मजबूरी में स्कूली बच्चे खेत की पगडंडी के सहारे विद्यालय आते व जाते हैं। दो दशक का लंबा अर्सा बीत गया, परंतु यहां रास्ते की व्यवस्था नहीं कराई जा सकी है। वर्तमान में 93 बच्चों का नामांकन इस विद्यालय में हैं, जहां पांच अध्यापक तैनाती हैं। विद्यालय पर जाने के लिए जो रास्ता है, वह जलालपुर निवासी खाता धारक की जमीन है। आम दिनों में बच्चे परेशानी झेलते हैं, बारिश हो गई, तो फिर स्थिति और बदतर हो जाती है। ग्राम प्रधान अनिल सोनी का कहना है, कि विद्यालय के दक्षिण और पूरब जिनकी जमीन है, उनसे बातचीत की गई, कि रास्ते के बदले ग्राम पंचायत की जमीन मालियत के हिसाब से मुख्य मार्ग पर ले लें। परंतु वह तैयार नहीं हो रहे हैं, जिसकी वजह से समस्या बनी हुई है। समस्या से प्रशासन को अवगत कराते हुए समाधान कराने का प्रयास किया जा रहा है।