कटऑफ अंक को लेकर लड़ाई तेज
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : परिषदीय स्कूलों की 69 हजार शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में कटऑफ अंक को लेकर निर्णायक लड़ाई शुरू हो गई है। अधिकांश अभ्यर्थी इम्तिहान के बाद उत्तीर्ण प्रतिशत तय करने से नाखुश हैं। उनका कहना है कि परीक्षा के नियम पहले तय होते हैं व उसी को देखते हुए परीक्षार्थी इम्तिहान देते हैं। इसे लिखित परीक्षा के बाद तय करने से असहज स्थिति पैदा हो गई है।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और इस मामले की शुक्रवार को भी सुनवाई होगी। असल में, बेसिक शिक्षा विभाग समान भर्ती की दो परीक्षाएं अलग-अलग नियमों से करा रहा है। इसीलिए पहली और दूसरी भर्ती में उत्तीर्ण प्रतिशत तक अलग है। जहां 68500 शिक्षक भर्ती में सामान्य व ओबीसी का कटऑफ 45 व एससी-एसटी का 40 प्रतिशत तय हुआ था, वहीं 69 हजार भर्ती में सामान्य का कटऑफ 65 व अन्य आरक्षित वर्ग का 60 प्रतिशत तय किया गया है। इससे आम अभ्यर्थियों के साथ ही शिक्षामित्र सहमत नहीं है।
शिक्षामित्रों का कहना है कि उनके पदों के लिए यह परीक्षा हो रही है और सरकार ने उन्हें ही बाहर करने के लिए इतना अधिक कटऑफ तय कर दिया है। उनकी मांग है कि बिना कटऑफ चयन किया जाए। हालांकि इसमें नियमावली बाधा है, जिसमें उत्तीर्ण प्रतिशत तय किए जाने का नियम है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि एक ही भर्ती दो चरण में हो रही है तो दोनों में उत्तीर्ण प्रतिशत समान कर दिया जाना चाहिए। उनका यह भी तर्क है कि मौजूदा उत्तीर्ण प्रतिशत में भी तय सीटों से अधिक के उत्तीर्ण होने के आसार हैं। यदि पिछली भर्ती जैसा कटऑफ अंक तय होगा तो सफल होने की तादाद और अधिक हो जाएगी, इसमें सरकार को क्या परेशानी हो रही है। अब इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें लगी हैं।
विधि संवाददाता, लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी।
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने मोहम्मद रिजवान व अन्य की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाओं में छह जनवरी को हुई 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में राज्य सरकार की ओर से गत सात जनवरी को जारी क्वालीफाइंग मार्क्स को चुनौती दी गई है। सरकार ने सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 65 प्रतिशत व आरक्षित श्रेणी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स निर्धारित किए थे। वहीं, छह जनवरी को लिखित परीक्षा के बाद राज्य सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिए, जबकि नियम है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार की तरफ से याचिका का विरोध किया गया। समयाभाव के चलते कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रखने के निर्देश दिए।