प्राथमिक शिक्षा में सुधार का अभिनव प्रयोग है इनकी पहचान
'जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटायेगा किसी चराग़ का अपना मकां नहीं होता' प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी की यह पंक्तियां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. राजेंद्र प्रसाद ¨सह पर एकदम फिट बैठती हैं। जन सहयोग व शिक्षकों को हमसफर बनाकर प्राथमिक शिक्षा में अभिनव प्रयोग इनकी पहचान है। नालेज मै¨पग के माध्यम से बच्चों को तराशने का सराहनीय प्रयास करने वाले शिक्षा के इस सारथी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शैक्षिक प्रशासन में नवाचार लागू करने पर सम्मानित किया गया।...
जागरण संवाददाता, जौनपुर: 'जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटायेगा किसी चराग़ का अपना मकां नहीं होता' प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी की यह पंक्तियां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. राजेंद्र प्रसाद ¨सह पर एकदम फिट बैठती हैं। जन सहयोग व शिक्षकों को हमसफर बनाकर प्राथमिक शिक्षा में अभिनव प्रयोग इनकी पहचान है। नालेज मै¨पग के माध्यम से बच्चों को तराशने का सराहनीय प्रयास करने वाले शिक्षा के इस सारथी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शैक्षिक प्रशासन में नवाचार लागू करने पर सम्मानित किया गया।
जनपद में डेढ़ साल के कार्यकाल में इनके उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। उन्होंने सामान्य ज्ञान के आधार पर सरकारी स्कूलों के बच्चों में बौद्धिक क्षमता विकसित करने का अभिनव प्रयोग शुरू किया। जिले के 210 अभिनव स्कूलों में बौद्धिक विकास के लिए नालेज मै¨पग कांसेप्ट लागू करने के लिए बेवसाइट बनवाई। चयनित स्कूलों को यूजर आईडी, ला¨गग व पासवर्ड उपलब्ध कराया गया। शिक्षकों की वर्कशाप कराई गई। इस अभिनव प्रयोग पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में चार जनवरी को आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने सम्मानित किया।
इनके प्रयास का पहिया अभी नहीं थमा है। शिक्षकों व जन सहयोग से इन्होंने जिले के 125 स्कूलों में आईसीटी योजना लागू किया है। इसके तहत प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को मिल रही शिक्षा को देख कान्वेंट स्कूलों में न पढ़ा पाने वाले गरीब अभिभावकों में अपार खुशी है। वहीं 500 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में डेस्क-बेंच की व्यवस्था की गई है।
नए शिक्षण सत्र से जनपद में 220 और अभिनव और इतने ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खोलना इनकी योजना है। इन स्कूलों में योग्य व उत्साही शिक्षकों की तैनाती करके कान्वेंट स्कूलों को मात दिया जाएगा। इनके प्रयास का ही परिणाम है कि वर्तमान शिक्षण सत्र में छात्रों की संख्या पूर्व की भांति 10 से 15 हजार कम न होकर 24 हजार बढ़ गई है। यह आंकड़ा चार लाख पार करने की मंशा है।