गुरुजी ऐसे कि बच्चों ने ही रुकवा लिया तबादला
कौशांबी : नेवादा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय अमवां में तैनात प्रधानाध्यापक का बच्चों से इतना लगाव है कि उन्होंने उनके स्थानांतरण को भी रुकवा लिया। बच्चों के लिए वह सिर्फ शिक्षक नहीं उनके अभिभावक भी हैं। पढ़ाने के साथ ही वह उनकी अन्य सुविधाओं का भी ध्यान रखते हैं। पढ़ाने की लगन ऐसा कि विद्यालय बंद होने के बाद भी वह समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते हैं।...
नीरज ¨सह, कौशांबी : नेवादा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय अमवां में तैनात प्रधानाध्यापक का बच्चों से इतना लगाव है कि उन्होंने उनके स्थानांतरण को भी रुकवा लिया। बच्चों के लिए वह सिर्फ शिक्षक नहीं उनके अभिभावक भी हैं। पढ़ाने के साथ ही वह उनकी अन्य सुविधाओं का भी ध्यान रखते हैं। पढ़ाने की लगन ऐसा कि विद्यालय बंद होने के बाद भी वह समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
प्राथमिक विद्यालय अमवां में तैनात प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार को बच्चों से बेहद लगाव है। बच्चे भी उनका उतना ही सम्मान करते हैं। इसका परिणाम है कि अमवां ही नहीं आस-पास के गई गांव के बच्चे उनके विद्यालय में पढ़ने आते हैं। अभी तक जहां बच्चे विद्यालय में आने से डरते थे। वहीं प्रमोद के प्रयास से विद्यालय की छात्र संख्या में भी इजाफा हुआ है। वह बच्चों को हर वह बात बताते हैं जो उनके भविष्य के लिए हितकर हो। ¨हदी, गणित अंग्रेजी की पढ़ाई को लेकर बच्चे सतर्क रहे। इसके लिए वह खुद विद्यालय बंद होने के बाद भी उनके बीच बैठे रहते हैं। कभी-कभी तो बच्चों के अभिभावकों को विद्यालय बंद करने के लिए कहना पड़ता है। बच्चे उनको कितना पसंद करते हैं इस बात का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि दिसंबर 2017 में उनको तबादला दूसरे विद्यालय में हो गया था। इसकी जानकारी जैसे ही बच्चों को हुई। उन्होंने विद्यालय आना बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने अभिभावकों के साथ बीआरसी परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब एक सप्ताह के प्रदर्शन के बाद तत्कालीन बीएसए एमआर स्वामी ने उनको स्थानांतरण वापस लेना पड़ा। इसके बाद से बच्चों ने विद्यालय आना शुरू कर दिया। बच्चों को बांटी टोपी
प्रमोद को बच्चों को कितना ख्याल है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सरकार की ओर से बच्चों को स्वेटर व जूते मोजा नहीं मिलता था। तब उनके प्रयास से बच्चे जूता व मोजा व स्वेटर के साथ विद्यालय आते थे। सरकार ने बच्चों को स्वेटर व जूता मोजा दिया तो इसके बाद प्रमोद ने अपने प्रयास से विद्यालय में पढ़ने वाले 129 बच्चों को खुद ही टोपी का वितरण कर दिया।