बच्चों को शिक्षित करने को बदल दिया स्कूल का स्वरूप
बच्चों को स्कूल के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए उत्साही प्रधानाचार्य ने व्यक्तिगत खर्चे से स्कूल कक्ष का ही स्वरुप बदल दिया। अतिरिक्त कक्ष को बस का आकार देकर बच्चो को उसमे न सिर्फ ज्ञानार्जन करा रहे है,बल्कि बच्चो को स्वस्थ्य,स्वच्छ के साथ सामाजिक ताना बाना का भी ज्ञान देकर उनके अध्ययन को रोचक बना रहे है।...
जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र) : बच्चों का रूझान स्कूल के प्रति बढ़ाने के लिए प्रधानाचार्य ने व्यक्तिगत खर्चे से स्कूल कक्ष का ही स्वरूप बदल दिया। अतिरिक्त कक्ष को बस का आकार देकर बच्चों को उसमें न सिर्फ ज्ञानार्जन करा रहे है बल्कि बच्चों को स्वास्थ्य, स्वच्छता के साथ सामाजिक ताने बाने का भी ज्ञान देकर उनके अध्ययन को रोचक बना रहे है।
प्राथमिक विद्यालय अमवार कालोनी में जहां पर प्रधानाचार्य नीरज चतुर्वेदी तैनाती के शुरुआती दिनों में बच्चों की उपस्थिति कम होने से निराश थे। इसके बाद ऐसी युक्ति निकाली कि आज उनके विद्यालय में सैकड़ों की संख्या में छात्रों की नियमित उपस्थिति हो रही है। इतना ही नहीं किसी तरह दिनहीन अवस्था में पलने वाले बच्चों को एक जिम्मेदार अभिभावक की भांति नियमित स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता की न सिर्फ पाठ पढ़ाते बल्कि बगैर नहाए धोए, गंदगी के साथ स्कूल आने वाले विद्यार्थियों के लिए अपने विद्यालय में कई इंतजाम किए है। मंजन, ब्रश के साथ ही साबुन तेल की भी व्यवस्था रखते हैं। छात्रों को साफ-सुथरा कराने के बाद ही क्लास रूम में प्रवेश देते हैं। इतना ही नहीं बच्चों को किताबी ज्ञान से उबन हुई तो वे उसका भी माकूल इंतजाम कर रखे हैं। इसके लिए कॉमिक्स आदि के साथ कई बाल कहानियों को अपने पुस्तकालय में जगह दिया गया है। बच्चों के इच्छा मुताबिक ज्ञानवर्धक कहानियों को सुनाकर उनके मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धक सामाजिक ज्ञान भी देते रहते हैं। तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए भी वे नियमित बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए कार्य कर रहे है। ऐसे में वे परिषदीय विद्यालयों में तैनात तमाम उन शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा बने हुए है,जो थोड़ी बहुत भी समस्या आने पर सरकारी व्यवस्था का रोना रोते है।