दायित्वों के सही निर्वहन से विद्यालय को मिली अलग पहचान
जागरण संवाददाता, पूर (बलिया) : परिषदीय विद्यालयों को लेकर आम लोगों की मानसिकता कुछ अच्छी नहीं रहती। वजह की यह सरकारी व्यवस्था से चलने वाले स्कूल हैं। इन विद्यालयों में शिक्षकों की जम कर मनमानी चलती है, लेकिन ऐसा हर जगह नहीं है। जहां शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वाह सच्ची निष्ठा से कर रहे हैं, वहां की तस्वीर ही शैक्षणिक माहौल को बयां करने लगती है। शिक्षा क्षेत्र पंदह के पश्चिमी छोर पर स्थित ग्रामसभा सहुलाई का प्राथमिक स्कूल कुछ ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत कर अलग पहचान बना ली है। इस परिषदीय विद्यालय की तस्वीर को संवारने में पहला नाम आता है रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मचारी जय बहादुर यादव का। उनकी ही देखरेख में संचालित होने वाला यह स्कूल प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की कर्तव्य परायणता ने इलाके के दर्जनों इंग्लिश माध्यम विद्यालयों को बंद होने के कगार पर पहुंचा दिया है। तकरीबन 370 विद्यार्थियों वाले इस प्राथमिक स्कूल में अभिभावक भी अपने बच्चों का प्रवेश दिलाने को बेताब रहते हैं। बच्चों के शारीरिक, मानसिक, चारीत्रिक व सामाजिक विकास के लिए हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले इस स्कूल में प्रधानाचार्य की ओर से अपने स्तर से कम्प्यूटर शिक्षा की भी व्यवस्था भी की गई है।
--खंड शिक्षा अधिकारी के हर सवाल का मिला जवाब
इसी विद्यालय पर औचक निरीक्षण पर पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी एसएन त्रिपाठी विद्यालय के हर सवाल का उचित जवाब भी यहां पढ़ने वाले बच्चों ने दिया। खंड शिक्षा अधिकारी प्रार्थना सभा के दौरान ही यहां पहुंचे थे। उन्होंने बच्चों से दर्जनों सवाल पूछे, लेकिन बच्चे किसी भी सवाल पर नहीं भटके। बच्चों के जवाब ने कायल बना दिया। इस दौरान प्रधानाचार्य ने मानक के अनुरुप शिक्षकों की कमी को पूरा करने मांग की, जिस पर खंड शिक्षा अधिकारी ने भी उन्हें आश्वस्त किया।
Posted By: Jagran