शिक्षक, प्रधानाचार्य और अब कस्टम अधीक्षक, बहुत गहरी हैं सॉल्वर गैंग की जड़ें
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। पहले शिक्षक, फिर प्रधानाचार्य और अब कस्टम अधीक्षक का पकड़ा जाना दर्शाता है कि शिक्षा माफिया व्यवस्था पर हावी हो गए हैं। हर परीक्षा में सेंधमारी का प्रयास करते-करते कई बार सफल भी हो रहे हैं। देश के कई राज्यों में फैला पेपर लीक व सॉल्वर गैंग के मकड़जाल पर एसटीएफ और पुलिस भी शिकंजा कसने में नाकाम हो चुकी है।
बागपत-सोनीपत के गिरोह
पश्चिमी उप्र में साल 2005 के बाद से कई गिरोह सक्रिय हैं। इनमें बागपत जिले का अरविंद राणा, सोनीपत का विक्रम व संजय दहिया, गोहाना का नवीन मलिक व बिजनौर का योगेश आदि कई बड़े गैंग हर परीक्षा पर नजर रखते हैं। बागपत जिले में तो कई गिरोह अलग-अलग तरीकों से अपने गैंग चला रहे हैं। विशेषकर, बड़ौत क्षेत्र के गांवों में रहने वाले शिक्षा माफिया का देश के एक दर्जन से अधिक राज्यों में गठजोड़ हैं। इनमें अरविंद राणा पहले मास्टर हुआ करता था, जो वर्तमान में भूमिगत है। ट्यूबवेल ऑपरेटर भर्ती परीक्षा के दौरान पकड़े गए बिजनौर का रहने वाला योगेश मुजफ्फरनगर के एक विद्यालय का प्रधानाचार्य था। वाजिदपुर का विजय तोमर उर्फ नीटू कस्टम अधीक्षक है।
लाखों की डील, जेब में मिला मात्र 150 रुपये
पेपर लीक व सॉल्व करने में लाखों के वारे-न्यारे करने वाला कस्टम अधीक्षक विजय तोमर उर्फ नीटू की जेब से मात्र 150 रुपये मिले हैं। एसटीएफ सीओ ने बताया कि उसके बैंक खातों की भी जांच की जाएगी। फिलहाल एक कार, दो मोबाइल, चार हस्तलिखित छाया प्रति उत्तर-तालिका, एक डेबिट कार्ड, एक ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किया गया है।
सोनीपत का विक्रम देता है आंसर-की
सीओ के मुताबिक, कस्टम अधीक्षक 2009 से इस धंधे को कर रहा था। बागपत, बड़ौत, मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत कई जगहों पर उसके साथी बेरोजगारों को फंसाते हैं। हरियाणा के सोनीपत निवासी विक्रम इस गिरोह को प्रश्न-पत्र की सॉल्व हुई आंसर-की उपलब्ध कराता रहा है। सिविल कोर्ट भर्ती परीक्षा की आंसर-की भी उसी ने विजय को वाट्सएप पर भेजी थी।
50 फीसद पहले, 50 काम के बाद
प्रश्न पत्र आउट करना और सॉल्व करके परीक्षार्थियों तक पहुंचाने का धंधा भले ही गंदा हो, लेकिन शिक्षा माफिया ईमानदारी के साथ इसे करते हैं। 50 फीसद एडवांस रुपया लेकर परीक्षा दिलाते हैं। यदि पास हो गए तो ठीक, नहीं हुए तो रकम वापस लौटा दी जाती है।
गांव-देहात के युवा निशाने पर
शहर के बजाय गांव-देहात के युवाओं को यह गिरोह शिकार बनाते हैं। कारण है, वह लोग बगैर जांच-पड़ताल किए झांसे में आ जाते हैं। कई गिरोह तो अपने रिश्तेदारों व परिचित युवाओं को भी फंसा रहे हैं। पउप्र में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनके रिश्तेदारों ने ही गिरोह की पुलिस व एसटीएफ से शिकायत की है। एसटीएफ सीओ ब्रिजेश कुमार ने बताया कि यह सभी गिरोह परीक्षार्थी को पास कराने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। इस तरह यह गिरोह सैकड़ों युवाओं को पास करा चुके हैं। दर्जनों तो अभी भी नौकरी कर रहे हैं।
यहां ईमानदारी खत्म हुई तो बिखर गया गैंग
एसटीएफ सीओ के मुताबिक, बागपत जिले का अरविंद राणा और विजय तोमर उर्फ नीटू पहले एक साथ मिलकर गिरोह को चलाते थे। उनके रैकेट में मॉडल टॉउन सोनीपत निवासी विक्रम, यहां के खेड़ी मानाजाट का संजय दहिया उर्फ देहरा और गोहाना निवासी नवीन मलिक शामिल थे। 2012-13 में अरविंद और विजय में रुपयों के लेनदेन को लेकर अनबन हो गई। विवाद बढ़ा तो दोनों की राहें जुदा हो गईं। इसके बाद दोनों ने अपना अलग-अलग गिरोह खड़ा किया।
पांच लाख रुपये में बेचा था सॉल्व पेपर
ट्यूबवेल ऑपरेटर भर्ती परीक्षा के लिए भी विजय तोमर आदि ने पांच-पांच लाख रुपये में सॉल्व पेपर बेचा था। परीक्षा से एक दिन पहले परतापुर बाइपास पर गंगानगर निवासी सचिन मास्टर को भी पेपर 10 लाख रुपये में बेचा गया। उसी रात सचिन पकड़ा गया और परीक्षा निरस्त हो गई।
सोनीपत में रहता है नीटू
विजय तोमर उर्फ नीटू फिलहाल परिवार समेत सोनीपत की अंसल टाउन में रहता है। कभी-कभी वह गांव आता है तो अपने साथियों से मिलता है।
निशाने पर रहीं ये परीक्षाएं
सिविल कोर्ट स्टाफ भर्ती परीक्षा
नलकूप चालक भर्ती परीक्षा
सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा
रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप (डी) की परीक्षा
एसएससी परीक्षा
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा
यूपीएसएसएससी परीक्षा, आदि
Posted By: Ashu Singh