अब निजी स्कूलों की मान्यता लेने में ढीली होगी जेब
जागरण संवाददाता, बांदा : प्राथमिक और जूनियर स्तर की मान्यता लेना अब आसान नहीं होगा। शासन...
जागरण संवाददाता, बांदा :
प्राथमिक और जूनियर स्तर की मान्यता लेना अब आसान नहीं होगा। शासन ने कई नए नियम लागू करने के साथ रजिस्ट्रेशन सहित अन्य शुल्कों में भी करीब 20 गुना इजाफा कर दिया है। अब एक साल के लिए अस्थाई मान्यता मिलेगी। मानकों में खरे उतरने के बाद ही उन्हें स्थाई मान्यता दी जाएगी। निजी भवन होना भी अनिवार्य होगा।
अभी तक स्कूल की मान्यता के लिए औपचारिकताएं पूरी कर जुगाड़ से संचालक मान्यता लेते रहे हैं। इससे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के हर गली-कूचे में प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं। अधिकांश के पास निजी भवन भी नहीं हैं। कई में महज एक-दो कक्षों के भरोसे मानकों के विपरीत संचालन हो रहा है। अब मान्यता की शर्तों में बदलाव कर दिया गया है। साथ ही खर्च में भी इजाफा कर दिया गया है। मान्यता शुल्क, सिक्योरिटी राशि और लाइब्रेरी शुल्क करीब 20 गुना ज्यादा हो गए हैं। विभाग में मान्यता के लिए करीब दर्जन भर फाइलें लंबित हैं। नए नियम के तहत अब करीब एक लाख रुपये मान्यता लेने में खर्च करने होंगे। पहले इस पर महज पांच से दस हजार रुपये में काम चल जाता था। पिछले महीनों में शासन के निर्देश पर अभियान चलाया गया था। इसमें कई खामियां सामने आईं थीं। कई स्कूलों के पास खुद के भवन न होने, मान्यता की अवधि खत्म होने तथा अप्रशिक्षित शिक्षकों की तैनाती आदि मामले भी उजागर हुए थे। इसमें कई स्कूलों पर कार्रवाई भी हुई थी। शासन को यही रिपोर्ट भेजी गई। इससे अब मान्यता को लेकर शासन ने सख्त कदम उठाए हैं।
-------
नियमों में यह हुए हैं बदलाव :
-प्राइमरी में एक लाख व उच्च प्राथमिक में डेढ़ लाख रुपये सिक्योरिटी राशि जमा करनी होगी। अभी यह पांच हजार व 25 हजार रुपये थी।
-लाइब्रेरी शुल्क प्राइमरी में दस हजार व उच्च प्राथमिक में 15 हजार रुपये होगी। अभी यह पांच से 25 हजार रुपये तक थी।
-मान्यता शुल्क प्राइमरी पर दस हजार रुपये व उच्च प्राइमरी में 15 हजार रुपये होगी। अभी यह दो हजार और तीन हजार रुपये थी।
-------------------
मान्यता महंगी होने पर बच्चों के शुल्क में संचालक मनमानी इजाफा नहीं कर पाएंगे। मान्यता के लिए पहली अप्रैल से आवेदन लिए जाएंगे। शासन के मानकों व निर्देशानुसार ही मान्यता की कार्रवाई की जाएगी।-हरिश्चंद्रनाथ, बीएसए, बांदा।