इंग्लिश मीडियम स्कूल में नहीं हैं अंग्रेजी के शिक्षक
अंग्रेजी पढ़ने की ललक बच्चों में तो है लेकिन इंतजाम ठीक न होने से उनको निराशा हाथ लग रही है। शिक्षा के लिए खर्च भी हो रहा है फिर भी मनमुताबिक पठन-पाठन नहीं हो रहा है।...
जागरण संवाददाता, बकरीहवां (सोनभद्र) : अंग्रेजी पढ़ने की ललक बच्चों में तो है लेकिन इंतजाम ठीक न होने से उनको निराशा हाथ लग रही है। शिक्षा के लिए खर्च भी हो रहा है फिर भी मनमुताबिक पठन-पाठन नहीं हो रहा है। प्राइमरी इंग्लिश मीडियम स्कूल नेमना व बीजपुर में अंग्रेजी विषय के एक भी अध्यापक नहीं हैं। दोनों ही स्कूलों में मात्र दो शिक्षिकाएं व दो शिक्षामित्र स्कूलों को संभाले हुए हैं।
शासन की मंशा के अनुसार शिक्षा विभाग ने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए प्राइमरी स्कूल बीजपुर एवं नेमना को गतवर्ष कक्षा पांच तक के बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल में तब्दील कर दिया था। स्कूलों की रंगाई-पोताई, साजो-सामान में लाखों खर्च भी हुए हैं। बच्चों की ड्रेस भी बदल दी गई। बच्चों में अंग्रेजी सीखने की तमन्ना भी है। स्कूलों में बच्चों का नामांकन में बढ़ोतरी हुई परंतु आज तक इन स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम को पढ़ाने के लिए एक भी अध्यापक नसीब नहीं हुए। प्रत्येक विद्यालय में मानक के अनुसार कम से कम पांच अध्यापक होने चाहिए। प्राइमरी स्कूल बीजपुर अपनी ही दशा पर आंसू बहा रहा है। नामांकित बच्चे 295 हैं और दो शिक्षिकाओं की नियुक्ति है। इसमें से एक शिक्षिका प्रसूति अवकाश पर चली गई। स्कूल में वर्तमान में केवल एक शिक्षिका एवं दो शिक्षामित्र ही 295 बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। यही हाल प्राथमिक विद्यालय नेमना का है। जहां 240 बच्चे नामांकित हैं। बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी दो शिक्षिकाओं एवं दो शिक्षामित्रों के भरोसे है। आखिर परिषदीय स्कूलों में अध्यापकों की कमी से कैसे प्रदेश सरकार का सपना पूरा होगा यह ¨चता का विषय है। बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने को विवश
कड़ाके की ठंड में भी परिषदीय विद्यालयों के कक्षा पांच तक के बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं। जबकि केंद्रीय विद्यालय समेत मान्यता प्राप्त विद्यालयों में शीतकालीन अवकाश हो चुका है लेकिन परिषदीय विद्यालयों के खुले होने की वजह से कड़ाके की ठंड में बच्चे स्कूल जाने पर विवश हैं। बर्फ की तरह गलती फर्श पर टाट पट्टी पर नौनिहालों को बैठा कर पढ़ाया जा रहा है। ठंड का आलम इतना ज्यादा है कि बच्चे कांपते हुए स्कूल पहुंच रहे है। आए दिन गिरते पारे से धूप का भी असर बेअसर साबित हो रहा है।