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अम्बेडकर नगर : शुद्ध पेयजल का ¨ढढोरा, स्कूलों में कोरा

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शुद्ध पेयजल का ¨ढढोरा, स्कूलों में कोरा


अंबेडकरनगर : चिराग तले अंधेरा की कहावत फिलहाल शिक्षा विभाग के स्कूलों में चरितार्थ होत...

अंबेडकरनगर : चिराग तले अंधेरा की कहावत फिलहाल शिक्षा विभाग के स्कूलों में चरितार्थ होती नजर आती है। यहां बदहाल शौचालय की सुविधा के साथ ही शुद्ध पेयजल का संकट भी गहराया है। छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं नसीब होता। सरकारी आंकड़ों में यह संख्या नाममात्र ही दिखाई जाती है। असलियत में धरातल पर खराब पड़े तथा दूषित पानी उगलने वाले हैंडपंपों की संख्या कहीं अधिक है। यह हालत जागरूकता और ज्ञान का उजाला बांटने वाले शिक्षा मंदिरों का है। इससे उलट गांव-गांव सरकारी मशीनरी इन दिनों स्वच्छता एवं पेयजल जागरूकता को लेकर ¨ढढोरा पीट रही है।

छात्रों की सेहत के साथ विद्यालयों में खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसा भी नहीं कि सरकारी मशीनरी को इसका भान नहीं है। मुसीबत से वाकिफ होने के बाद भी अधिकारी और कर्मचारी इसके निदान को लेकर लापरवाह बने हैं। लिहाजा बच्चों को स्कूलों में बेहतर शिक्षा मिलने की उम्मीदों से हटकर संक्रामक बीमारियों को परोसा जाने लगा है। बेसिक खास बात है कि इन गांव-गांव घूमकर राज्य पेयजल स्वच्छता मिशन के तहत ग्रामीणों को शुद्ध पानी का प्रयोग करने, पानी की जांच तथा दूषित पेयजल से होने वाली बीमारियों के बारे में आधुनिक संसाधनों व नुक्कड़ नाटकों के जरिए जागरूक किया जा रहा है। जबकि विद्यालयों में खराब पड़े तथा दूषित पानी उगलने वाले हैंडपंपों की ओर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर प्रशासन व विकास विभाग समेत जल निगम के अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती है। मौजूदा हालात की ओर गौर करें तो बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय 245 हैंडपंप खराब पड़े हैं। पंचायतीराज विभाग ने 138 हैंडपंपों की मरम्मत कराने का भी दावा किया है। इससे इतर 101 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी हैंडपंप खराब हैं। जबकि 61 हैंडपंपों को ठीक कराया गया है। यह आंकड़े धरातल से मेल नहीं खाते। वजह दूषित पानी देने वाले हैंडपंपों समेत खराब हैंडपंपों की संख्या काफी अधिक है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार ¨सह ने बताया खराब हैंडपंप एवं दूषित पानी देने वाले हैंडपंपों की मरम्मत के लिए संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही सभी हैंडपंपों को ठीक करा लिया जाएगा।

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-पेयजल में रसायन की अधिकता होने वाली बिमारियां-

-फ्लोराइड से हड्डी रोग

-आर्सेनिक से त्वचार रोग

-सेलेनियम से बाल का झड़ना

-कॉपर से गैस की बीमारी

-बैक्टीरिया से पीलिया, हैजा, कालरा

-ऐटीमोनी से हाई ब्लड प्रेशर

-बेरियम से कैथरीज

-कैडियम से छोटे बच्चों में नीला रंग

-मर्करी व नाइट्रेट से किडनी डैमेज

-लेड से छोटे बच्चों में पागलपन

-वायरस से हेपेटाइटिस

-सल्फेट से डिहाइड्रेशन

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