यूपी बोर्ड परीक्षा में लड़खड़ाए तो संभलने का मौका नहीं
धर्मेश अवस्थी’ प्रयागराज
परीक्षा कोई भी हो, परीक्षार्थी और परीक्षा संस्था दोनों को इम्तिहान देना पड़ता है। उसमें यूपी बोर्ड परीक्षा की अपनी अलग पहचान रही है। वैसे तो यूपी बोर्ड हर साल परीक्षा कराता आ रहा है लेकिन, इस बार स्थिति पिछले वर्षो से जुदा है। हाईस्कूल और इंटर दोनों में अहम विषयों का एक प्रश्नपत्र ही हो रहा है, इसमें जहां परीक्षा संस्था के सामने संतुलित प्रश्नपत्र देने की चुनौती है, वहीं परीक्षार्थियों को ऐसी तैयारी करनी होगी, ताकि वे अच्छे अंक अर्जित कर सकें। एक प्रश्नपत्र होने में यदि किसी विषय में कोई परीक्षार्थी लड़खड़ाया तो संभलने का मौका नहीं है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने पिछले वर्ष ही पाठ्यक्रम में बदलाव किया, सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू हुआ है। अब उसी की तरह परीक्षा भी होने जा रही है। बोर्ड ने परीक्षार्थियों व शिक्षकों की सुविधा के लिए मॉडल प्रश्नपत्र तैयार कराकर जारी किए, ताकि उसी के अनुरूप तैयारी की जा सके। पिछले वर्ष माध्यमिक कालेजों को किताबें आदि मुहैया कराने में बोर्ड ने तत्परता भी दिखाई लेकिन, विभागीय अफसर उस तरह की पढ़ाई नहीं करा सके। हर कक्षा में पढ़ने वालों में मेधावी, सामान्य व औसत से कम बुद्धि वाले छात्र-छात्रएं होते हैं। बदली प्रणाली का असर मेधावियों पर खास असर नहीं डाल सकेगा लेकिन, सामान्य व औसत से कम बुद्धि वालों के सामने परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूर चुनौती है, क्योंकि पहले यदि किसी विषय का एक प्रश्नपत्र अच्छा नहीं हो सका तो दूसरे पेपर में मेहनत करके परिणाम दुरुस्त किया जा सकने का मौका रहा है, इस बार यह अवसर नहीं है।
रिजल्ट में दिखेगा असर : यूपी बोर्ड का रिजल्ट इस बार अप्रैल के पहले पखवारे में आने की उम्मीद है। इंटर में एक प्रश्नपत्र का असर रिजल्ट में दिखना तय है। माना जा रहा है कि तैयारी अच्छी न होने या फिर प्रश्नपत्र बनाने में संतुलन बिगड़ा तो उत्तीर्ण प्रतिशत कम हो जाएगा। नकल पर पूर्ण अंकुश लगाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। ऐसे में नियमित तैयारी करने वाले ही परीक्षार्थी ही परीक्षा की नैया पार सकेंगे।