बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार में लिपिकों की भर्ती की जाए
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ । उत्तर प्रदेश के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के लिपिकों की 16 वर्ष से आज तक भर्ती नहीं हुई है। पूरे प्रदेश में करीब 760 लिपिकों के पद रिक्त पड़े हैं। लंबे समय से सरकार से इन पदों को भरने की मांग की जा रही है। जिससे प्रदेश के बाल विकास विभाग में शासकीय कार्यों का कुशलता से संपादन हो सके। लिपिकों की कमी से आंगनबाड़ी समेत सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं का कार्य मध्यम गति से चल रहा है। फाइले लंबे समय तक एक जगह से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंच पाती हैं। शासन के कार्मिक, वित्त विभाग में मांगों के संबंध में जुड़ी फाइलें धूल खा रही हैं। कई बार भर्ती समेत अन्य मांगों के समर्थन में प्रत्यावेदन शासन में भेजे जा चुके हैं। पर, कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लिपिक संवर्ग का वेतनमान 2000 की जगह पर 2800 किया जाए। लिपिक की वर्ष 2003 से भर्ती नहीं की गई है। प्रधान सहायक का पदनाम बदला जाए। प्रधान सहायक की जगह पर सहायक प्रशासनिक अधिकारी का पदनाम किया जाए। साथ ही बाल विकास पुष्टाहार विभाग में वरिष्ठ प्रशासनिक और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पदों का सृजन किया जाए। इस विभाग में सरकार की प्रमुख योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में कई बार धरना-प्रदर्शन व अन्य आंदोलन कर चुके हैं। अजीत प्रताप सिंह यादव, प्रांतीय महामंत्री, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार कर्मचारी संघ उप्र. और संयुक्त मंत्री, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उप्र.