असुविधाओं के बीच अक्षर ज्ञान सीख रहे नौनिहाल
महराजगंज: नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देकर उनके भविष्य को संवारने की योजना परिषदीय विद्यालयों में कितनी कारगर साबित हो रही है। यह ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के हालात को देखकर आसानी से समझा जा सकता है। टूटी चाहरदिवारी, सीट विहीन शौचालय, शुद्ध पेयजल का संकट और बिना फाटक व खिड़की के कमरों में फैली गंदगी देखकर विभागीय अधिकारियों के खोखले दावों की पोल खुल जा रही है। मौजूदा सरकार की शिक्षा के प्रति संजीदगी देख दफ्तरों में कागजी आंकड़ा दुरुस्त कर अपनी पीठ थपथपाने वाले अधिकारियों के पसीने छूटने लगे थे। आनन-फानन में सब कुछ दुरुस्त करने की योजना बनाकर वे अपने अधीनस्थ शिक्षकों व कर्मचारियों के पेंच भी कसने शुरु कर दिए थे। अधिकारियों की भागदौड़ और माथे का पसीना यह बता रही थी कि पटरी से उतर चुकी शिक्षा व्यवस्था में जल्द ही कोई सकारात्मक बदलाव आएगा, लेकिन शासन का डंडा कमजोर पड़ते ही हालत जस के तस हो गए।'जागरण टीम'द्वारा नौतनवा ब्लाक क्षेत्र के कुछ परिषदीय विद्यालयों की जमीनी हकीकत की पड़ताल में कागजी आंकड़ों की पोल खुल गई। अशोगवां, मनिकौरा, नरायनपुर, अमहवां, रेहरा गांव के स्कूलों में चाहरदिवारी नदारद है। मध्याह्न भोजन योजना भी पूरी तरह पटरी पर आती नहीं दिख रही है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जगदीश शुक्ल ने कहा कि स्कूलों की में पठन-पाठन का माहौल बेहतर बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए तैनात शिक्षकों को पूरी तरह जबाब देह बनाया गया है, जहां कुछ समस्या है उसको भी अविलंब दूर करा लिया जाएगा।
Posted By: Jagran