लखनऊ : बसपा सरकार में हुई भर्तियों की भी सीबीआइ जांच
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले बसपा शासनकाल में हुई अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हुई भर्तियों के मामले में भी सीबीआइ का शिकंजा कस गया है। सीबीआइ दिल्ली ने गुरुवार को इस मामले की प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर ली है।
सपा शासनकाल में यूपीपीएससी (उप्र लोक सेवा आयोग) की भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ को बसपा शासनकाल में शुरू हुई अपर निजी सचिव के पदों पर भर्ती में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। इस पर सीबीआइ ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बसपा शासनकाल के दौरान हुई भर्तियों की जांच की अधिसूचना जारी करने की सिफारिश की थी, जिस पर सितंबर, 2018 में राज्य सरकार ने इन भर्तियों की सीबीआइ जांच की संस्तुति की थी। आरोप है कि भर्ती के इस मामले में सचिवालय के कई अधिकारियों ने अर्हता को दरकिनार कर अपने रिश्तेदार व करीबियों की भर्ती करा दी थी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में मायावती सरकार में अपर निजी सचिव की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी, जबकि अखिलेश सरकार में तीन चरणों में इसकी परीक्षा कराई गई थी और परिणाम घोषित हुआ था। भाजपा सरकार ने सपा शासनकाल में एक अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 के मध्य हुई भर्ती में धांधली की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। सीबीआइ ने केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान सीबीआइ को शिकायत मिली थी कि बसपा सरकार में शुरू हुई अपर निजी सचिव की भर्ती प्रक्रिया में भी बड़े पैमाने पर धांधली की गई थी। इस पर सीबीआइ ने बसपा शासनकाल में हुई भर्तियों की भी जांच करने की अनुमति मांगी थी।
बढ़ेंगी कई बड़ों की मुश्किलें : पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात रहे कुछ अधिकारियों की भूमिका भी इस मामले में संदेह के घेरे में है। ऐसे में सीबीआइ जांच के दौरान कई बड़ों पर शिकंजा कस सकता है।