हाईकोर्ट की हमदर्दी से पुरानी पेंशन आंदोलन को मिला बल
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य सरकार द्वारा हाथ खींचे जाने और न्यायालय द्वारा हड़ताल को अवैध ठहराए जाने से पुरानी पेंशन बहाली का जो आंदोलन दो दिन पहले खत्म होता नजर आ रहा था, हाईकोर्ट की हमदर्दी के बाद अचानक उसमें जान आ गई है। यही वजह रही कि एक ओर कर्मचारी संगठनों ने शासन का वार्ता प्रस्ताव ठुकरा कर अपनी शर्ते गिना दी हैं तो उधर पुरानी पेंशन बहाली मंच अब अपनी विधिक इकाई भी बना रहा है।
हाईकोर्ट द्वारा अवैध करार दिए जाने के बाद कर्मचारी संगठनों ने कार्रवाई की आशंका से हड़ताल तो वापस ले ली लेकिन, न्यायालय में कर्मचारियों का पक्ष रखने से चूक जाने की अपनी कमजोरी को भी भांप लिया। सात फरवरी के इस आदेश से सबक लेते हुए संगठनों ने अगले ही दिन हाईकोर्ट में अपनी बात कुछ इस कायदे से रखी कि एक दिन पहले तक नाराज न्यायालय का रुख अचानक हमदर्दी में बदल गया। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में पुरानी पेंशन बहाली के पक्ष में वह सब बातें कह दीं, जो अब तक कर्मचारी संगठन कहते आ रहे थे। इससे अचानक हड़ताल खत्म करने के कर्मचारियों के दर्द पर जहां मरहम का काम किया, वहीं पुरानी पेंशन बहाली की मांग को भी नई ताकत मिल गई।
हाईकोर्ट की यह हमदर्दी सामने आते ही शासन ने आठ फरवरी को कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया लेकिन, नेताओं ने वार्ता से इंकार कर दिया। मंच की संघर्ष समिति के चेयरमैन शिवबरन सिंह यादव के मुताबिक मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय के स्तर से आए बुलावे पर संगठनों द्वारा शर्त रखी गई है कि पहले शासन अपने अंशदान के तौर पर 10,500 करोड़ रुपये जमा कराए और पेंशन में अंशदान को 10 से 14 फीसद बढ़ाए, उसके बाद ही वार्ता होगी। दूसरी तरफ मंच ने अपने बीच के विधि विशेषज्ञ सदस्यों की सूचना जुटाकर विधिक इकाई का गठन भी शुरू कर दिया है, ताकि ऐसे मामलों में न्यायालय में पक्ष रखा जा सके।
कोर्ट के लिए बना रहे रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने पेंशन को लेकर कर्मचारियों की समस्या और आशंका समझने के बाद उनसे पूरी बात लिखकर देने को कहा है। पुरानी पेंशन बहाली मंच के पदाधिकारियों ने बताया कि दो हफ्ते के भीतर न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है। उधर राज्य सरकार ने भी हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी शुरू कर दी है।