आंगनबाड़ी के बच्चे का निजी विद्यालय में दाखिला शर्मनाक
सीतापुर : आउट ऑफ स्कूल बच्चों के सर्वे को लेकर शासन व बेसिक शिक्षा विभाग बेहद गंभीर है। 30 जनवरी को वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिए अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा की विशेष सचिव आनंद कुमार ने कार्यवृत्ति जारी की है। कार्यवृत्ति के मुताबिक कांफ्रें¨सग में आउट ऑफ स्कूल बच्चों के सर्वे कार्य के हर पहलू पर चर्चा हुई है। पिछले सत्र की अपेक्षा इस बार नामांकन में 15 प्रतिशत का लक्ष्य और बढ़ा है। अपर मुख्य सचिव ने जिम्मेदारों से कहा है, जो बच्चा गांव में रह रहा है एवं स्कूल में नहीं आ रहा है उस बच्चे का विवरण संबंधित स्कूल में रहना जरूरी है। ऐसे बच्चों का स्कूल में नामांकन अवश्य होना चाहिए। आंगनबाड़ी केंद्र में जो बच्चे आ रहे हैं और 6 वर्ष के हो गए हैं ऐसे सभी बच्चों का कक्षा-1 में दाखिला जरूरी है इसमें से यदि कोई बच्चा निजी विद्यालय में जाता है तो शर्मनाक है। अपर मुख्य सचिव ने कहा है, असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) द्वारा वर्ष 2018 में किए गए सर्वे के मुताबिक 49 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। सर्वे में पता चला है कि स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 60 प्रतिशत ही है।
शासन ने जताई हैरत
परिषदीय विद्यालयों में निश्शुल्क पाठ्य-पुस्तकें, बैग, जूता-मोजा, यूनीफार्म, स्वेटर व मिड-डे-मिल देने के बाद भी इन विद्यालयों में नामांकन कम होना स्वीकार्य नहीं है। ये बात 30 जनवरी को अपर मुख्य सचिव जिम्मेदारों से कह चुके हैं। उन्होंने जिम्मेदारों से कहा, इतना सब होने के बाद भी बच्चों का नामांकन निजी विद्यालयों में होना अधिकारियों की कार्यशैली को दर्शाता है।
नामांकन 50 प्रतिशत खर्चा 100 प्रतिशत
अपर मुख्य सचिव ने ये भी कहा है, स्कूलों में नामांकन 50 प्रतिशत होता है और मध्याह्न भोजन में खर्च 100 प्रतिशत दिखाया जाता है। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने को छात्र-छात्राओं के हस्ताक्षर मध्याह्न भोजन की पंजिका पर करना जरूरी किया गया है। बच्चों का नामांकन कार्यक्रम
एक फरवरी से 30 मार्च।
21 अप्रैल से 30 जून। वर्जन-
आउट ऑफ स्कूल बच्चों के पंजीकरण के संबंध में शिक्षकों को 9 फरवरी को ट्रे¨नग कराई गई है। सर्वे शुरू हो गया है, कितने बच्चों का सर्वे हुआ है ये बताना कठिन है चूंकि अभी पोर्टल ही अपडेट हो रहा है।
- सत्येंद्र मिश्र, जिला समन्वयक, सामुदायिक सहभागिता