एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

प्रयागराज : बिना नौकरी माननीयों को पेंशन तो कर्मियों को क्यों नहीं, पुरानी पेंशन को लेकर हड़ताल पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

0 comments

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राज्य कर्मचारी की हड़ताल पर राज्य सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की है और पूछा है कि, बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका अंशदान शेयर में सरकार कैसे लगा सकती है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकार असंतुष्ट कर्मचारियों से काम ले सकती है। यही नहीं कोर्ट ने कहा है कि यदि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो इसे सांसदों और विधायकों की पेंशन पर क्यों नहीं लागू किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि, सरकार लूट खसोट वाली करोड़ों की योजनाएं लागू करने में नहीं हिचकती और उसे 30 से 35 साल की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने में दिक्कत हो रही है। कोर्ट ने पूछा कि, सरकार को क्या कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन देने का आश्वासन नहीं देना चाहिए। सांसदों, विधायकों को बिना नौकरी के सरकार पेंशन दे रही है तो लंबी नौकरी के बाद कर्मचारियों को क्यों नहीं दे रही। कोर्ट ने कहा कि सांसद विधायक तो वकालत समेत अन्य व्यवसाय भी कर सकते हैं फिर भी वे पेंशन के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि, कर्मचारियों की हड़ताल से सरकार का नहीं लोगों का नुकसान होता है। कोर्ट में पेश कर्मचारी नेताओं को कोर्ट ने अपनी शिकायत व पेंशन स्कीम की खामियों को 10 दिन में ब्यौरे के साथ पेश करने को कहा और सरकार को इस पर विचार कर 25 फरवरी तक हलफनामा देने का निर्देश दिया है।

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राजकीय मुद्रणालय कर्मियों की हड़ताल से हाईकोर्ट की काजलिस्ट न छपने से न्याय प्रशासन को पंगु बनाने पर कायम जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि पुरानी पेंशन स्कीम की मांग मानने में क्या कठिनाई है। यदि नई स्कीम इतनी अच्छी है तो अन्य लोगों पर क्यों नहीं लागू करते । शेयर में लगाने के बाद पैसा डूबा तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार को न्यूनतम पेंशन नहीं तय करना चाहिए। कोर्ट में पेश कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता टीपी सिंह ने बताया कि हड़ताल खत्म हो गई है। राजकीय मुद्रणालय में काम शुरू हो गया है। सरकार कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं कर रही है । 2005 से नई पेंशन स्कीम लागू की गई है। जिस पर कर्मचारियों को गहरी आपत्ति है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।