उम्र 75 के पार..शिक्षण का जुनून बरकरार
महंगी (सहारनपुर) सेवानिवृति के बाद तमाम लोग परिवार की अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने में जुट...
महंगी (सहारनपुर): सेवानिवृति के बाद तमाम लोग परिवार की अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने में जुट जाते हैं लेकिन शिक्षक सोमदत्त रोहिला के लिए शिक्षण पेशा नहीं बल्कि कर्तव्य बन गया। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने शिक्षण जारी रखा। आज 75 वर्ष से ज्यादा की उम्र में भी यह जुनून उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
गांव दूधला निवासी सोमदत्त वर्ष-2006 में गांव जेहरा के जूनियर हाईस्कूल से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने गांव मोहड़ा में स्कूल खोला, मगर संतुष्टि नहीं मिली। शिक्षण के प्रति समर्पण के कारण वर्ष-2009 में उन्होंने मोहड़ा के जूनियर हाईस्कूल में शिक्षण शुरू किया। इसके बाद 2014 से बीनपुर में और 2016 से इस्सोपुर के जूनियर हाईस्कूल में भी बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू कर दिया। फिलहाल वह तीनों स्कूल में दो-दो घंटे निश्शुल्क शिक्षण करते हैं। तीनों ही स्कूल तीन किमी के दायरे में हैं।
अंतिम सांस तक पढ़ाने की ख्वाहिश
सोमदत्त कहते हैं, वह पैसे के लिए नहीं पढ़ा रहे हैं। पेंशन से गुजारा हो जाता है। जूनियर हाईस्कूलों में अध्यापकों की कमी है। मेरी दिली इच्छा है कि निस्वार्थ भाव से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दूं। अंतिम सांस तक शिक्षण में लगा रहूंगा।
गणित में पारंगत हो रहे बच्चे
गांव इस्सोपुर के जूनियर हाईस्कूल के प्रधान अध्यापक गजेंद्र सिंह और बीनपुर की मिथलेश शर्मा का कहना है कि उनके यहां गणित का कोई अध्यापक नहीं था, जिससे बच्चों को भी असुविधा होती थी। सोमदत्त रोहिला के नियमित रूप से यहां शिक्षण करने के कारण बच्चे गणित में पारंगत हो रहे हैं।
महसूस होता है असीम सुख
सोमदत्त कहना है कि बेटा संजय दत्त रोहिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और हैदराबाद में नौकरी करता है। एक पुत्री शिक्षक है। पत्नी के निधन के बाद घर में अकेला रहता हूं। वह बच्चों को पढ़ाने में असीम सुख महसूस करते हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद सोमदत्त द्वारा बच्चों को पढ़ाने का कार्य अन्य अध्यापकों के लिए एक मिसाल है। विभाग के उच्चाधिकारियों को इससे अवगत करा उन्हें सम्मानित कराया जाएगा।
ब्रजमोहन सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी गंगोह