हर स्कूल की अपनी दुकान, अभिभावक को पकड़ाई लिस्ट
सीन-तीन स्थान-जिला पंचायत के पीछे...
सीतापुर : एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र प्रारंभ हो रहा है। अभिभावकों पर बच्चों की पाठ्य-पुस्तकों व फीस जमा करने का दबाव है। इस दौरान शहर से लेकर कस्बों तक की कॉपी-किताबों की दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ है। कॉपी-किताब भी चिह्नित दुकानों पर ही उपलब्ध हैं, अन्य दुकान की पुस्तकें स्कूल में मान्य नहीं हैं। शहर के कई नामचीन स्कूल तो अपने विद्यालय परिसर में ही पाठ्य-पुस्तकों की दुकानें सजा रखे हैं। कुछ ने दुकानें बांध रखी हैं। दुकानों पर संबंधित स्कूलों द्वारा प्रिट कराई गईं पाठ्य-पुस्तकों की सूचियां भी उपलब्ध हैं। इन सूचियों पर दुकानदार कक्षा वार संबंधित पाठ्य-पुस्तकों के रेट फिक्स कर रखे हैं और कक्षा वार कॉपी-किताबों के बैग तैयार हैं। बस आप स्कूल का नाम और कक्षा बता दें, दुकानदार तुरंत अभिभावकों को बैग पकड़ा दे रहे हैं। शुक्रवार को शहर की कई दुकानों पर यही हाल देखने को मिला। प्रस्तुत है रिपोर्ट- सीन-एक
स्थान-घंटाघर : शाम के 4.30 बज रहे थे, बुक डिपो पर अभिभावकों की भीड़ जुटी थी। यहां शहर के गिने-चुने स्कूलों की पाठ्य-पुस्तकें मौजूद थी। यहां स्कूल वार विभिन्न कक्षाओं के तीन हजार से 12 हजार रुपये तक की पाठ्य-पुस्तकों के बैग तैयार रखे थे। इन बैगों को संबंधित स्कूलों के बच्चों के अभिभावक खरीद रहे थे। यहां अभिभावकों ने बताया, स्कूलों की मनमानी से वे सभी परेशान हैं। नियत दुकान के अतिरिक्त अन्य दुकानों पर संबंधित निजी स्कूलों की कॉपी-किताबें मिल नहीं रही हैं, यदि किसी दुकानदार के पास हैं भी तो वे स्कूल में अमान्य है। निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर कॉपी-किताबों की बिक्री है। सीन-दो
स्थान-जनसुविधा केंद्र के सामने : कॉपी-किताबों की दुकान से 14-16 किलो वजन बस्ते को उठाकर अभिभावक हांफ रहे थे। दुकानदार अभिभावकों से स्कूल का नाम पूछ रहा था और बैग पकड़ा दे रहा था। फिक्स रेट के मुताबिक कॉपी-किताब का बैग पकड़ते ही जेब में हाथ डालकर कोई 5 हजार तो कोई 7 हजार रुपये निकालकर दुकानदार को दे रहा था। यहीं पर एक अभिभावक ने बताया, सिचाई विभाग कार्यालय के सामने के एक बड़े स्कूल ने एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ ही सपोर्टिंग में अन्य प्रकाशन की पुस्तकों को भी खरीदना अनिवार्य किया है।