पालिका में पाठशाला, कागजों में मिड-डे मील का खेल
शहर से सटे कई गांव परिसमीन के बाद दो साल पहले पालिका सीमा में शामिल हो गए तो प्रधानी समाप्त हो गई। पालिका में शामिल होने के बाद 15 माह पहले इन दस गांवेां को मिलाकर वार्ड बनाकर सभासद भी निर्वाचित हो गए लेकिन इन वार्डों में शामिल गांवों के सरकारी स्कूलों के मिड डे मील का संचालन कागजों और मनमानी की भेंट चढ़ रहा है।...
मैनपुरी (जागरण संवाददाता) । शहर से सटे कई गांव परिसमीन के बाद दो साल पहले पालिका सीमा में शामिल हो गए तो वहां प्रधानी समाप्त हो गई। 15 माह पहले इन दस गांवों को मिलाकर वार्डो का रूप दे दिया गया और सभासद भी निर्वाचित हो गए, लेकिन इन क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील का संचालन कागजों और मनमानी की भेंट चढ़ रहा है।
यह हुए पालिका में शामिल
दो साल पहले शासन के निर्देश पर नगर पालिका का सीमा विस्तार हुआ था। शहर से सटे नगला कैथ, नगरिया, मधाऊ, खीजा, नगला दौलत, रमईहार, ठलउआपुर, धारऊ और नगला मूले को पालिका में शामिल कर तीन वार्डों का सृजन किया गया था। इसके साथ ही इन गांवों के आठ प्राइमरी और दो जूनियर हाईस्कूल भी शहर में शामिल हो गए।
सभासद ने उठाया सवाल
डीएम को पोर्टल पर भेजी शिकायत में वार्ड 14 की सभासद पुष्पादेवी ने प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में मिड-डे मील पर सवाल उठाया है। सभासद प्रतिनिधि धनेश शाक्य का कहना है कि उनके वार्ड में शामिल सरकारी स्कूलों में एमडीएम कागजों में ही बनता है। मधाऊ, नगला दौलत और खीजा में कौन इसका संचालन देख रहा है, पता ही नहीं है। मधाऊ के विद्यालय में तो 35 छात्रों को आधा किलो आलू की सब्जी से ही बहलाया जाता है।
कागजों में काम
सभासद ने डीएम को शिकायत पर उनके वार्ड के स्कूलों में अधिकतर मिड-डे मील का काम कागजों पर होने का दावा किया है। उनका कहना है कि पहले तो प्रधान इस काम को देखते थे, अब कौन देख रहा है, इसकी जानकारी किसी को नहीं। करेंगे जानकारी
ऐसा कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। वैसे पालिका में शामिल सभी स्कूलों में मिड-डे मील बनता है। यहां इसके लिए समिति बनी है कि नहीं, इसकी जानकारी कराकर व्यवस्था सही कराएंगे।
विजय प्रताप, बीएसए।