निजी स्कूलों को देना पड़ेगा निर्बल वर्ग के बच्चों को दाखिला
सुलतानपुर : अब आठवीं कक्षा तक के निजी स्कूलों को भी निर्बल वर्ग के बच्चों को मुफ्त में दाखिला देना पड़ेगा। इसमें हीलाहवाली नहीं चलेगी। अन्यथा मान्यता रद्द कर दी जाएगी। नए शासनादेश में विशेष सचिव ने सभी शिक्षाधिकारियों को फरमान जारी किया है। मान्यता तभी मिलेगी जब स्कूल संचालक शपथ पत्र देंगे।
निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने आठवीं कक्षा तक के विद्यालयों की मान्यता को लेकर तमाम नई शर्तें जारी कर दी हैं। निर्बल वर्ग के परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बच्चे आसानी से निजी स्कूलों में पढ़ सकें इसके लिए स्कूल संचालकों की मनमानी पर नकेल कसने को शुरू में ही मान्यता आवेदन के वक्त शपथ पत्र देना अनिवार्य कर दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं बीएसए को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि स्वच्छ पानी की व्यवस्था शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए अवश्य होनी चाहिए। प्राथमिक विद्यालयों की मान्यता पर बीएसए की अध्यक्षता में गठित समिति निर्णय लेगी। जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी व डायट प्राचार्य द्वारा नामित प्रवक्ता भी सदस्य होंगे। जूनियर हाईस्कूलों की मान्यता के लिए मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी फैसला करेगी। जिसमें बीएसए व बीईओ भी सदस्य होंगे।
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फीस में नहीं चलेगी मनमानी
निजी स्कूलों में छात्रों से शिक्षण शुल्क, महंगाई शुल्क मिलाकर उतना ही मासिक शुल्क स्वीकार किया जाएगा जो स्टाफ के वेतन, अनुरक्षण व अन्य व्यय के लिए पर्याप्त हो। इसके अलावा शिक्षण शुल्क, महंगाई शुल्क से स्कूल की सालाना आय में से वेतन भुगतान के पश्चात शुल्क आय के बीस फीसद से अधिक बचत होनी चाहिए। तीन साल तक शिक्षण शुल्क में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
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निजी स्कूल संचालकों को शासन के निर्देशों से अवगत करा दिया गया है। यदि कोई भी विद्यालय तंत्र नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसकी मान्यता को भी रद्द कर दिया जाएगा।
केके सिंह, बीएसए।