यहां एमडीएम पर तय होती है नौनिहालों की हाजिरी
बलरामपुर :जिले के परिषदीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना में धांधली पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। और तो और स्कूलों में नौनिहालों की हाजिरी भी मिड डे मील की रिपोर्ट पर ही तय की जाती है। कहने को तो स्कूलों में उपस्थिति पंजिका होती है, लेकिन विभाग के पास बच्चों की उपस्थिति का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में आइवीआरएस पर दी गई बच्चों की संख्या को ही विभाग सही उपस्थिति मानकर खाद्यान्न की उठान कर रहा है। बच्चों की वास्तविक उपस्थिति जानने की अफसरों को फुर्सत नहीं है। इसका खुलासा परीक्षा में तब होता है, जब नामांकन के सापेक्ष 80 फीसद बच्चे भी मौजूद नहीं होते। बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि छात्र उपस्थिति के अनुसार ही खाद्यान्न दिया जाता है।
दो माह में हुई खाद्यान्न की उठान :
-प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए प्रति छात्र 100 ग्राम चावल व गेहूं प्रतिदिन निर्धारित है। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में 150 ग्राम है। दिसंबर में जिले में प्राथमिक स्कूलों के नाम पर 228151 किग्रा खाद्यान्न की उठान की गई। इसमें 75876 किलोग्राम गेहूं व 151752 किग्रा चावल शामिल है। जनवरी में 97814 किग्रा गेहूं व 195628 किग्रा चावल खर्च हुआ। उच्च प्राथमिक में दिसंबर में 33785 किग्रा गेहूं, 67570 किग्रा चावल, जनवरी में 38664 किग्रा गेहूं व 77328 किग्रा चावल खर्च हुआ है। फरवरी व मार्च में कितना खाद्यान्न खर्च हुआ, इसकी जानकारी देने से विभाग के एमडीएम सेल प्रभारी कन्नी काट रहे हैं। आठ साल से नहीं हुई ऑडिट :
- वर्ष 2010-11 से अब तक मध्याह्न भोजन के नाम पर कितनी धनराशि खर्च हुई, इसकी ऑडिट ही नहीं कराई गई। आठ साल बाद जब 12 मार्च से ऑडिट की तिथि तय भी हुई, तो आवश्यक अभिलेख न होने का बहाना कर स्थगित करा दिया गया। सूत्र की मानें तो स्कूलों में बनने वाले मिड डे मील के अभिलेख ही नहीं हैं। यही नहीं, खाद्यान्न उठान का भी कोई हिसाब-किताब नहीं है।