एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर जौनपुर अमरोहा लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

बलरामपुर : यहां एमडीएम पर तय होती है नौनिहालों की हाजिरी

0 comments

यहां एमडीएम पर तय होती है नौनिहालों की हाजिरी


बलरामपुर :जिले के परिषदीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना में धांधली पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। और तो और स्कूलों में नौनिहालों की हाजिरी भी मिड डे मील की रिपोर्ट पर ही तय की जाती है। कहने को तो स्कूलों में उपस्थिति पंजिका होती है, लेकिन विभाग के पास बच्चों की उपस्थिति का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में आइवीआरएस पर दी गई बच्चों की संख्या को ही विभाग सही उपस्थिति मानकर खाद्यान्न की उठान कर रहा है। बच्चों की वास्तविक उपस्थिति जानने की अफसरों को फुर्सत नहीं है। इसका खुलासा परीक्षा में तब होता है, जब नामांकन के सापेक्ष 80 फीसद बच्चे भी मौजूद नहीं होते। बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि छात्र उपस्थिति के अनुसार ही खाद्यान्न दिया जाता है।

दो माह में हुई खाद्यान्न की उठान :

-प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए प्रति छात्र 100 ग्राम चावल व गेहूं प्रतिदिन निर्धारित है। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में 150 ग्राम है। दिसंबर में जिले में प्राथमिक स्कूलों के नाम पर 228151 किग्रा खाद्यान्न की उठान की गई। इसमें 75876 किलोग्राम गेहूं व 151752 किग्रा चावल शामिल है। जनवरी में 97814 किग्रा गेहूं व 195628 किग्रा चावल खर्च हुआ। उच्च प्राथमिक में दिसंबर में 33785 किग्रा गेहूं, 67570 किग्रा चावल, जनवरी में 38664 किग्रा गेहूं व 77328 किग्रा चावल खर्च हुआ है। फरवरी व मार्च में कितना खाद्यान्न खर्च हुआ, इसकी जानकारी देने से विभाग के एमडीएम सेल प्रभारी कन्नी काट रहे हैं। आठ साल से नहीं हुई ऑडिट :

- वर्ष 2010-11 से अब तक मध्याह्न भोजन के नाम पर कितनी धनराशि खर्च हुई, इसकी ऑडिट ही नहीं कराई गई। आठ साल बाद जब 12 मार्च से ऑडिट की तिथि तय भी हुई, तो आवश्यक अभिलेख न होने का बहाना कर स्थगित करा दिया गया। सूत्र की मानें तो स्कूलों में बनने वाले मिड डे मील के अभिलेख ही नहीं हैं। यही नहीं, खाद्यान्न उठान का भी कोई हिसाब-किताब नहीं है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।