आम चुनाव से पहले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विलय के विरोध में शिक्षकों में उबाल
ऐन चुनाव से पहले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय शासन को एक नया टेंशन दे सकता है। सरकार एक नया अध्यादेश लाकर एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलन करना चाहती है। प्राथमिक में एक से 5 कक्षा तक के छात्र पढ़ते हैं और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 6 ,7 और 8 के छात्र अध्ययन करते हैं। सरकार का तर्क है कि एक ही परिसर में दो प्रधानाचार्य होना वाजिब नहीं लगता है। वही प्राथमिक शिक्षक संघ के तर्क है कि तमाम प्रधानाचायरे का पद समाप्त करने के लिए साजिश रच रही है। इस फैसले का छात्रों, शिक्षकों के साथ संस्थागत अनुसान पर बिपरीत असर पड़ सकता है।जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत एक परिसर में स्थित प्राथमिक और जुूिनयर प्राथमिक विद्यालयों का विलय करना चाहती है। इससे मैनपॉवर की बचत होगी तथा संपूर्ण परिसर एक ही प्रधानाचार्य के निर्देशन में बेहतर प्रदर्शन करेगा। इससे पठन- पाठन और अनुशासन स्थापित करने में मदद मिलेगी। वही शिक्षकों का तर्क है कि इससे बनारस सहित संपूर्ण प्रदेश में प्रधानाचायरे के लगभग दोहजार पद समाप्त हो सकते हैं। बनारस में लगभग 222 प्राथमिक विद्यालयों के विलय से 225 प्रधानाध्यापकों का पद समाप्त हो सकता है। तमाम शिक्षक संघों का दावा है कि सरकार किसी जल्दी में है। इससे प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा का तानाबाना बिगड़ सकता है। सरकार को पता होना चाहिए कि कक्षा एक से पांच तक की शिक्षा व्यवस्ता बाल केन्द्रित होती है और उसके बाद आठ तक विषय केन्द्रित हो जाती है। अध्ययन- अध्यापन के साथ ही शिक्षकों के वेतन और मानसिकता में भी फर्क होता है। बनारस सहित प्रदेश भर के शिक्षक प्राथमिक विद्यालयों के परस्पर विलय का जोरदार विरोध करेंगे। विरोध की रणनीति बनायी जा रंही है तथा शिक्षक आम चुनाव में इसे मुद्दा बना सकते हैं।