नए अभ्यर्थियों को नौकरी देने में देरी
राब्यू, प्रयागराज : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की बेहद धीमी चाल से सरकार को भी अपना निर्णय बदलना पड़ रहा है। सूबे संस्कृत विद्यालयों में प्रधानाध्यापक व शिक्षक चयन करने का जिम्मा 2018 में ही चयन बोर्ड का सौंपा गया था लेकिन, अब तक नियमावली में संशोधन करा सका है और न ही चयन की दिशा में कदम बढ़ाए, इसीलिए सरकार को संस्कृत कालेजों में भी सेवानिवृत्त शिक्षकों को रखने का निर्णय करना पड़ा है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व शिक्षक चयन का दायित्व चयन बोर्ड पर ही है। पिछले वर्ष उसका पुनर्गठन होने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि पुरानी भर्तियों की प्रक्रिया पूरी करके नए विज्ञापन जारी होंगे और बड़ी संख्या में बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी। चयन बोर्ड ने इसके उलट पुरानी भर्तियों के चयन में न तो तेजी दिखाई और न ही नए विज्ञापन ही जारी किए। हालत यह है कि चयन बोर्ड में अब भी वर्ष 2011 की भर्तियां जैसे-तैसे घिसट रही हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देश पर जरूर पहले घोषित परिणाम को दुरुस्त किया गया है।
उप मुख्यमंत्री व शासन ने चयन बोर्ड को हिदायत देने की जगह पहले अशासकीय कालेजों में सेवानिवृत्त शिक्षकों की तैनाती का आदेश दिया और अब संस्कृत कालेजों में भी रिटायर शिक्षक रखने पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।12017 व 2018 सत्र रहे शून्य 1चयन बोर्ड अभ्यर्थियों के लंबे आंदोलन के बाद इन दिनों टीजीटी वर्ष 2016 की लिखित परीक्षा करा रहा है, फरवरी में इसी वर्ष की प्रवक्ता की परीक्षा हो चुकी है। लचर कार्यशैली से 2017 व 2018 में स्कूलों में तमाम पद रिक्त होते हुए भी नया विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। 2019 का विज्ञापन भी अब लोकसभा चुनाव तक आने के आसार नहीं है।