चिंतन-मनन व विश्लेषण से शिक्षा में होगा नवाचार
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : अनुभवजन्य ज्ञान पुस्तक की अज्ञानता से श्रेष्ठ है। मनन- चिंतन तथा विश्लेषण से शिक्षक के व्यवहार में परिणीति से ही शिक्षक शिक्षा में नवाचार आ सकता है, इसके बिना व्यक्ति में अनिश्चितता का भाव रहता है। आज हमें भारतीय मनीषा को समझने की जरूरत है तथा उससे आगे काम करके शिक्षक शिक्षा में निश्चय नवाचार ला सकते हैं। 1यह कहना है गोरखपुर विवि समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. प्रभाशंकर पांडेय का। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में आयोजित दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. पीके साहू ने कहा कि शिक्षक शिक्षा में अनुशासन, आदर्श व्यक्तित्व, ज्ञानपरक सौंदर्य, मानवीय मूल्य, राष्ट्रीय चिंतन एवं चेतना एक आदर्श शिक्षक शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट होती है। दो दिनी संगोष्ठी में भारत में अध्यापक शिक्षा की प्रवृत्तियां एवं नवाचार विषय पर विभिन्न विशेषज्ञों के बीच संवाद-विमर्श हुआ। 1इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए मेजबान प्रो. एनपी भोक्ता ने संगोष्ठी के मूल विषय पर अपनी बात रखी। संचालन का दायित्व प्रो. उदय सिंह ने निभाया।’>>गोरखपुर विवि में दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 1’>>शिक्षक-शिक्षा के विभिन्न आयामों पर हुआ विमर्श