कंपोजिट ग्रांट का धन विद्यालयों में डंप
परिषदीय विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट का धन अभी तक खर्च नहीं हो पाया है। विभाग ने सभी विद्यालयों में 20 हजार रुपये की पहली किस्त चार माह पहले ही भेज दी थी। यह धन स्कूलों के रखरखाव रंगाई-पुताई फर्स्ट एड किट अग्निशमन यंत्र जैसे जरूरी संसाधनों पर खर्च होना था। प्रधानाध्यापकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई।...
बस्ती : परिषदीय विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट का धन अभी तक खर्च नहीं हो पाया है। विभाग ने सभी विद्यालयों में 20 हजार रुपये की पहली किस्त चार माह पहले ही भेज दी थी। यह धन स्कूलों के रखरखाव, रंगाई-पुताई, फर्स्ट एड किट, अग्निशमन यंत्र जैसे जरूरी संसाधनों पर खर्च होना था। प्रधानाध्यापकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। इधर विभाग ने जब कंपोजिट ग्रांट के व्यय का सत्यापन शुरू किया तो यह असलियत सामने आने लगी। शासन की मंशा थी कि विद्यालय स्तर पर छात्र संख्या के मुताबिक इतनी धनराशि मुहैया कराई जाए कि छिटपुट जरूरतें प्रधानाध्यापक स्वविवेक से पूरी कर लें। मानक के अनुसार 1 से 15 छात्र संख्या पर 12500, 16 से 100 छात्र संख्या पर 25 हजार, 101 से 250 छात्र संख्या पर 50 हजार, 251 से 1000 छात्र संख्या पर 75 हजार और इससे अधिक छात्र संख्या पर एक लाख रुपये विद्यालयों को मुहैया कराना था। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में 20 हजार रुपये की पहली किस्त भेजी गई। कुछ स्कूलों में 50 से 75 हजार तक की रकम भेजी गई है। अधिकांश विद्यालयों में यह धन अभी खर्च नहीं हुआ है।
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जांच के दौरान खुली पोल
समेकित शिक्षा के जिला समन्वयक सुनील तिवारी की जांच में साऊंघाट ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय मुजहना, खझौला पुरवा, पूर्व माध्यमिक विद्यालय परसाजाफर में इस मद से एक भी रुपये खर्च नहीं हुए। समन्वयक के अनुसार मुजहना में तैनात एक शिक्षामित्र को अपने दायित्वों का ही बोध नहीं है। वह बीएसए को इस असलियत से अवगत कराएंगे। जबकि पकरी नासिर और धौरहरा स्कूल कार्यदिवस में बंद पाए गए।
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कंपोजिट ग्रांट का धन खर्च न करना उदासीनता है। सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
अरुण कुमार, बीएसए, बस्ती।