प्राथमिक स्कूल की बगिया फैला रही खुशबू
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सरकारी स्कूल को विभाग का मॉडल स्कूल बनाने की कर्तव्यनिष्ठा अमौली ब्लाक के...
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सरकारी स्कूल को विभाग का मॉडल स्कूल बनाने की कर्तव्यनिष्ठा अमौली ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बाबूपुर में दिखाई पड़ती है। प्रधानाध्यापक के सपने में जनप्रतिनिधियों के भरपूर सहयोग से यह विद्यालय नामचीन में शुमार हो गया है। शासन की टीएलएम योजना का क्रियान्वयन देखते ही बनता है। दीवारों पर नवाचारी पद्धति के पढ़ाई कराई जा रही है। पंजीकृत बच्चों में झिझक दूर करने के लिए उन्हें संवारा जा रहा है तो प्रतिदिन प्रार्थना सभा में बच्चे गीत, कहानी और वक्तव्य देकर अभिव्यक्ति व्यक्त करने का मौका दिया जा रहा है।
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर को तबीयत से उछालों यारों की पंक्तियां प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक सर्वेश कुमार अवस्थी पर फिट बैठती हैं। 8 अगस्त को पदोन्नति पर आए प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की कायाकल्प की सौगंध लेकर सपना संजोया और लोगों से चर्चा की तो हाथ को साथ मिलने लगा। ग्राम पंचायत ने भरपूर सहयोग करते हुए विद्यालय की बाउंड्री बनवा दी। 60 हजार रुपये की लागत से विद्यालय का आंखों में चुभने वाला रंग रोगन कराया गया है। इस रंग रोगन के माध्यम से बच्चों को शिक्षा में अभिरुचि पैदा करने का प्रयास किया गया। क्षेत्रीय विद्यायक एवं कारागार राज्यमंत्री जय कुमार जैकी भ्रमण में निकले तो सजे संवरे विद्यालय को देखकर वह रुक गए। विद्यालय को निहारा और पेयजल की समस्या संज्ञान में आते ही उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर एक सबमर्सिबल पंप लगवा दिया। प्रधानाध्यापक और एक सहायक अध्यापक तथा दो शिक्षामित्रों के बेहतर दायित्व निर्वहन के चलते पड़ोसी गांव नसेनियां, डिघरुवा, सगरा, रोटी चौराहा आदि गांवों से बच्चे स्वत: के साधन से प्रतिदिन विद्यालय पहुंच रहे हैं। संगीतमय प्रार्थना सभा के साथ, लैपटॉप-मोबाइल का उपयोग, टीएलएम, नवाचारी पद्धति के सदुपयोग से विद्यालय की बगिया खुशबू महक उठी है।
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बाबूपुरवा स्कूल के शिक्षक अगर सभी जगह हो जाएं तो बेसिक शिक्षा में लगे दाग धोए जा सकते हैं। खास बात यह है कि प्रधानाध्यापक इतना सजग है कि अधिकारियों एवं शासनादेश के अमल में दो कदम आगे खड़ा दिखाई देता है। नामचीन विद्यालय में हमने इस विद्यालय को शामिल किया है। पठन पाठन से लेकर योजनाओं का क्रियान्वयन देखते ही बनता है। यही वजह है कि पड़ोसी गांव के अभिभावक भी विद्यालय में प्रवेश करा रहे हैं। कांवेंट से हटाकर बच्चों के प्रवेश हो रहे हैं। सुबह पहर बच्चे ई-रिक्शा और मोटर साइकिलों से आते हैं।